पटना। बिहार में करोना मरीजों के इलाज के लिए जरूरी ऑक्सीजन की सही आपूर्ति न होने के मामले को पटना हाईकोर्ट ने काफी गंभीरता से लिया है।जस्टिस सीएस सिंह की खंडपीठ ने जनहित याचिकाओं पर सुनवाई की।कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि अस्पतालों में आवश्यक ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित करें। कोर्ट ने कहा कि जब केंद्र सरकार ने ऑक्सीजन का 194 मीट्रिक टन का कोटा बिहार को दिया हुआ है, तो उसे अस्पतालों में आपूर्ति की व्यवस्था क्यों नहीं हो रही है?
पीठ ने कहा कि हमें राज्य सरकार के दावे पर संदेह था, इसलिए हमने समिति का गठन किया था और हमारा संदेह सही था। रिपोर्ट के अनुसार, पटना मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (पीएमसीएच) की क्षमता 1,750 बेड की है, लेकिन केवल 106 बेड पर मरीजों को ऑक्सीजन मिल रही है। मेदांता अस्पताल में 500 बेड की क्षमता है, लेकिन अस्पताल में ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं है।
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हाईकोर्ट ने कार्यशैली पर उठाए सवाल
सुनवाई के दौरान, पटना उच्च न्यायालय ने आश्चर्य व्यक्त किया कि यह बहुत दुख की बात है कि केंद्र सरकार द्वारा तय किए गए 194 एमटी ऑक्सीजन में से, राज्य सरकार केवल 90 मीट्रिक टन ऑक्सीजन उठाने में सक्षम है। फिर भी राज्य सरकार कह रही है कि अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी नहीं है। अगर ऑक्सीजन है, तो इसकी कमी के कारण मरीज कैसे मर रहे हैं?
उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को फटकार लगाई
कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार को केंद्र सरकार द्वारा तय 194 मीट्रिक टन ऑक्सीजन को उठाना चाहिए। घर के अलगाव में रहने वाले लोगों को ऑक्सीजन कैसे पहुंचाएं, इस पर कोई कार्य योजना नहीं है। घर के अलगाव में रहने वाले लोगों को ऑक्सीजन की आपूर्ति भी सुनिश्चित की जानी चाहिए। राज्य सरकार की कार्रवाई पर टिप्पणी करते हुए, अदालत ने कहा कि आप अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या कम करते हैं, यह समस्या का समाधान नहीं है।
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से रिपोर्ट तलब की
कोर्ट ने पटना के IGIMS अस्पताल को कोविद अस्पताल बनाने के राज्य सरकार के फैसले पर कार्रवाई रिपोर्ट तलब की है। पटना के एम्स अस्पताल ने अदालत को बताया कि वह बिहटा के ईएसआई अस्पताल से समझौता ज्ञापन के लिए तैयार है, लेकिन आधुनिक प्रयोगशाला और अन्य संसाधनों की उपलब्धता कम है। राज्य सरकार के सहयोग से वहां काम किया जा सकता है। इस मामले पर अगली सुनवाई शुक्रवार को होनी है।
Source-news18