बिहार में आज से लगेगी कोविड टीके की तीसरी डोज, किसको मिलेगा फायदा और क्‍या है तरीका

पटना। कोरोना संक्रमण के लिहाज से सबसे ज्यादा आशंकित लोगों को प्रिकाशनरी यानी बूस्टर डोज देने के लिए सोमवार से दो दिवसीय महाभियान शुरू हो रहा है। दो दिन में ऐसे सभी चिकित्साकर्मियों व फ्रंटलाइन वर्कर को तीसरी डोज दे दी जाएगी, जिन्हें दूसरी डोज लिए 90 या उससे अधिक दिन हो चुके हैं। जिले में ऐसे लोगों की संख्या करीब डेढ़ लाख बताई जा रही है। इसके लिए टीकाकेंद्रों पर विशेष शिविरों का आयोजन किया जा रहा है। विभागों में जाकर वहां कर्मचारियों-अधिकारियों का टीकाकरण सुनिश्चित करने के लिए 40 वाहन किराए पर लिए गए हैं। जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डा. एसपी विनायक ने बताया कि हर टीम में दो वेरीफायर डाटा आपरेटर, दो टीकाकर्मी रहेंगे। इसके लिए डाक्टर की एक मोबाइल टीम तीन से चार सेंटर के बीच रहेगी, जो विपरीत स्थिति में वहां जाकर अपेक्षित उपचार आदि करेगी।

मैसेज नहीं जाए तब भी ले सकते हैं तीसरी डोज 

एसीएमओ डा. अविनाश कुमार सिंह के अनुसार कोविन पोर्टल से अपेक्षित पात्रता रखने वाले हर व्यक्ति के पास तीसरी डोज लेने का मैसेज जाएगा। यदि किसी हेल्थ, फ्रंटलाइन वर्कर के पास मैसेज नहीं जाता है तब भी वे अपने नजदीकी अस्पताल में जाकर वैक्सीन ले सकते हैं। 60 से अधिक उम्र वाले लोग अपनी को-मारबिडिटी यानी दूसरे गंभीर रोग से ग्रसित होने की बात बताकर तीसरी डोज ले सकते हैं। आवश्यक शर्त यही है कि दूसरी डोज लिए हुए उन्हें कम से कम 90 दिन हो चुके हों।

Whatsapp Group Join
Telegram channel Join

जिस वैक्सीन की पहली दो डोज, उसी का लें बूस्टर 

डा. अविनाश कुमार ङ्क्षसह के अनुसार प्रीकाशनरी या बूस्टर डोज लेने वालों को यह ध्यान देना होगा कि उन्होंने जिस वैक्सीन की पहली दो डोज ली हैं, उसी की तीसरी डोज लें। इसके लिए पंजीयन और टीकाकर्मियों को अपनी पहली वैक्सीन की जानकारी देकर उसी की तीसरी डोज लेनी चाहिए।

अस्पतालों और कार्यालयों में टीकाकरण की तैयारी

 

स्वास्थ्य विभाग के अनुसार प्रीकाशनरी डोज सरकारी टीका केंद्रों में ही दी जाएगी। यदि कोई निजी अस्पताल अपने कर्मचारियों का टीकाकरण खुद अपने संस्थान में करना चाहते हैं तो उन्हें इसका खर्च खुद उठाना होगा। इसके अलावा फ्रंटलाइन या हेल्थ वर्कर के कार्यालयों में जाकर वैक्सीन देने के लिए मोबाइल टीमों का गठन किया गया है।

प्रिकाशनरी डोज क्यों जरूरी 

इजरायल, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन आदि देशों में विभिन्न वैक्सीनों पर हुए अध्ययन में पाया गया कि दूसरी डोज के पांच से छह माह बाद कोरोना के खिलाफ विकसित एंटीबाडी की संख्या कम होने लगती है। नौ से 12 माह में यह बहुत कमजोर हो जाती है। ऐसे में तीसरी या प्रिकाशनरी डोज देने पर ही ओमिक्रोन व अन्य वैरिएंट से बचाव हो सकता है।