मुजफ्फरपुर। हम सदर अस्पताल का हाल जानने पहुंचे तो यहां मरीज को जांच की पर्ची थमाकर बाहर का रास्ता दिखा दिया जा रहा था। पैथोलाजी जांच केंद्र पर आटो एनालाइजर मशीन खराब होने के कारण नवंबर से ही वहां पर जांच बाधित है। रोज गाली-गलौज की स्थिति। निदान निकलाने वाले मौन हैं। सदर अस्पताल में बगल में ही बैंक रोड में एक दर्जन से ज्यादा कलेक्शन सेंटर खुला हुआ है। यहां से परेशान होकर मरीज उधर जांच करा रहे हैं। निजी केंद्रों एवं नर्सिंग होम के सक्रिय बिचौलिए अस्पताल के आसपास मंडराते रहते। मौका देखते ही निजी सेंटरों की ओर रुख करा देते।
नि:शुल्क की जगह देना पड़ रहा 120 रुपये
सुमेरा की यासमनी ने बताया कि, प्रसूति वार्ड में जांच कराई। वहां से पांच जांच कराने को कहा गया। इसमें से हेपेटाइटिस बी की जांच के लिए सदर अस्पताल के एमसीएच सेंटर से बाहर का रास्ता दिखा दिया। बाहर में 120 रुपये में यह जांच हुई। जगदंबा नगर की कविता कुमारी ने बताया कि वह दस फरवरी को जांच कराने के लिए सदर अस्पताल आई। प्रसूति वार्ड मे इलाज के बाद खून-पेशाब की जांच कराने के लिए कहा गया। यहां आने के बाद बाथ रूम में ताला बंद है। एक पुराना बाथरूम जहां कोई सुविधा नहीं। बेसिन खराब है। शुक्रवार को कहा गया कि शनिवार को आइए। उस दिन भी रिपोर्ट नहीं मिली। सोमवार को रिपोर्ट मिल पाई। अभी अल्ट्रासाउंड के लिए कितने दिन इंतजार करना होगा यह उपर वाला जाने। कविता के पति ने बताया कि सरकारी अस्पताल में नाम की व्यवस्था है। महंत मनियारी के मो.खुर्शीद ने बताया कि वह पिता की पेशाब जांच कराने के लिए आए। बाथरूम में ताला रहने से चाहरदिवारी की आड़ में किसी तरह से नमूना लिया। कहा, महिलाएं को बहुत परेशानी है। यूरिन व ब्लड सुगर जांच बाहर से करा लेते है, इसकी कीमत कम हैं। अन्य जांच अधिक पैसा मांग रहे हैं। सदर अस्पताल की ओपीडी में इलाज कराने 350 से 423 मरीज आते हैं। इलाज के दौरान 125 से 150 मरीज को जांच लिखा जाता है।
व्यवस्था का सच
राज्य की स्वास्थ्य सुविधा को बेहतर करने के लिए बड़ी राशि खर्च की जा रही है। गरीबों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा मिल सके इसके लिए एक्सरे, अल्ट्रासाउंड के अलावा सीटी स्कैन की बड़ी मशीनें लगाई गईं। कुछ पीएचसी में भी एक्सरे एवं अल्ट्रासाउंड सेवा बहाल की गई। पैथोलाजिकल जांच का दायरा भी पीएचसी से लेकर एसकेएमसीएच तक बढ़ाया गया, मगर जो सेवा गरीब, लाचार या जरूरतमंदों को मिलनी चाहिए थी वह नहीं मिली। इसके पीछे का सच जो हो, मगर एक साजिश के तहत इन व्यवस्थाओं को बेपटरी कर दिया गया। इसका सच हमने जानने की कोशिश की। इसमें यह बात सामने आई कि निजी जांच केंद्रों को परोक्ष या अपरोक्ष रूप से बढ़ावा देने के लिए ऐसा किया जा रहा, ताकि उनका कारोबार फलता-फूलता रहे।
आटो एनालाइजर मशीन खराब रहने से यह परेशानी
सदर अस्पताल में नवंबर से आटो एनालाइजर मशीन खराब है। इसके कारण लिक्विड प्रोफाइल, यूरिक ऐसिड, एलएफटी की जांच कराने के लिए बाहर जाना पड़ता है। प्रतिदिन 20 से 25 मरीज लौटते रहते हैं। इनकी जांच नहीं होती है।
निजी जांच घर में यह चार्ज
लिक्विड प्रोफाइल—-500
यूरिक ऐसिड—-120
एलएफटी—600
केएफटी—–500
इनकी भी परेशानी
इस सेंटर पर प्रतिदिन 300 से 400 मरीज जांच के लिए आ रहे हैं। जांच केंद्र पर केवल दो टेकनीशियन है। इसके कारण उनको 2019 से नियमित अवकाश नहीं मिल रहा है। एक रिपोर्ट बनाने में तो दूसरा कलेक्शन मेें रहते व्यस्त। तीन आदमी के रहने से काम में आती तेजी।
इस मामले में उपाधीक्षक डा.एनके चौधरी ने बताया कि मशीन खराब होने की जानकारी वरीय अधिकारी को दी गई है। उनकी ओर कोशिश जारी है। महिलाओं को हेपेटाइटिस जांच के लिए बाहर जाने पर कहा कि उनको इसकी जानकारी नहीं है। लेखापाल विपिन पाठक से इस संबंध में जानकारी मांगी गई है।