पश्चिम चंपारण (बगहा)। बीते कई महीनों से रुक रुक कर हो रही बारिश के बीच धान व गन्ने की फसल तैयार हो गई है। कई किसानों ने धान की कटनी भी शुरू कर दी है। इस बीच एक बार फिर से बारिश शुरू हो जाने से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच गई हैं। लगातार बारिश से धान की बालियां लगने के साथ ही बारिश ने धान की फसल को पानी में गिरा दिया है।
ऐसे में अब धान की फसलें से भी किसानों की उपज नामात्र होने की उम्मीद है। जिन किसानों के धान की फसल पककर तैयार है। वे अब कटनी के लिए मौसम ठीक होने का इंतजार कर रहे हैं। किसान राजेंद्र ङ्क्षसह, प्रमोद ङ्क्षसह, शेख ताजुद्दीन, मोहन यादव, मनोज यादव आदि ने बताया कि इस साल बारिश के कारण गन्ना और धान की फसलें पूरी तरह से बर्बाद हो गई हैं। कुछ समझ नहीं आ रहा है। दूसरी ओर लगातार बारिश ने नगर मं जलजमाव की समस्या बढ़ा दी है। जलजमाव के कारण संक्रामक रोगों के प्रसार की संभावना बढ़ गई है।
धान और गन्ने की फसल को नुकसान
बारिश ने धान के मुनासिब उत्पादन पर ग्रहण लगा दिया है। अब तक आवश्यकतानुसार होती रही बरसात से किसानों में चेहरे पर जो मुस्कान दिख रही थी वह रविवार की सुबह से हो रही बारिश के बाद गायब हो गई। विशेषज्ञों का मानना है कि वैसे किसान जिनका धान खेत में खड़ा है उनको कम लेकिन जिनका कटकर खेत में बिछाया गया है या कटकर खलिहान में रखा गया है, उनको भारी नुकसान का सामना करना पड़ गया है। विशेषज्ञों के अनुसार चित्रा नक्षत्र में बरसात होने से तिल, कपास व सरसों की खेती को नुकसान होता है। इस बरसात से गन्ने व धान को भी नुकसान होगा।
कृषि विशेषज्ञ अशोक कुमार पांडेय ने कहा कि इस पानी से हर किसान को नुकसान है। सब्जी की खेती को भी इससे नुकसान होगी। गुरवलिया के रामदास यादव,लालू यादव, शोभा देवी आदि ने कहा कि उनके खेत में धान का फसल पक कर तैयार है कटने की तैयारी कर खेत में मजदूरों के साथ पहुंचे तो एकाएक चारों तरफ से अंधेरा करते हुए तेज हवा के साथ बारिश हुई व सारी तैयारी समाप्त हो गई। अब तक के बरसात से जो किसान खुश हो रहे थे वो सोमवार की बारिश ने उनको उदास कर दिया। विशेषज्ञ ने कहा कि इस बारिश से रबी की फसल को लाभ होगा, उसके लिए खेत में नमी बनी रहेगी।