Two Thousand Note: बाजार से गायब हो चले गुलाबी नोट, जानिए इसके पीछे की सरकार की मंशा

जासं, धनबाद। लोगों के गुलाबी सपनों को सच करने वाला दो हजार के गुलाबी नोट ( Two Thousand Note)  जितनी तेजी से आया उतनी ही तेजी से गायब हो चला है। शायद आपने भी इसे नोटिस किया होगा। धनबाद में एटीएम (ATM) ने भी दो हजार रुपये के नोटों को उगलना बंद कर दिया है। नोट अपलोड करने वाली एजेंसियों की तरफ से ATM मशीनों में दो हजार के नोट नहीं रखे जा रहे हैं।

इस मुद्दे पर धनबाद के बैंक अधिकारी भी कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं। माना जा रहा है कि कालाधनों की जमाखोरी को रोकने के लिए रिजर्व बैंक आफ इंडिया ने दो हजार के नोटों को धीरे-धीरे प्रचलन से बाहर करने का मन बना लिया है। वैसे प्रचलन से दो हजार के नोटों के गायब होने से आम लोग खुश हैं। दो हजार के नोटों को बजार में छोटे नोटों में बदलने में परेशानी होती थी।

नवंबर 2016 से प्रचलन में गुलाबी नोट==बता दें कि कालाधन पर चोट के लिए वर्ष 2016 में पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा कालाधन को वापस लाने के लिए नोटबंदी की गई थी। उस दौर में जारी किए गए दो हजार रूपये के गुलाबी नोट बाजार से अब गायब हो गए हैं। चाहे बैंक का काउंटर हो या एटीएम, दो हजार के गुलाबी नोट अब विरले ही नजर आते हैं। बैंकों के एटीएम से अब दो हजार के नोट निकलते ही नहीं हैं।

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यह स्थिति पिछले कई माह से हो रही है। बाजार में भी अब लेनदेन में दो हजार के नोट बहुत कम प्रयोग में दिख रहे हैं। जिस कारण अधिक्तर लोगों को बाजार में खरीदारी करने के लिए आसानी भी हो रही है। देखा जाता था कि सब्जी वाले या छोटे दुकानदारों से खरीदारी करने के बाद दो हजार का नोट देते थे, उस वक्त दो हजार रूपये के खुदरा के लिए काफी परेशानी होती थी।

दो वर्ष पूर्व दो हजार के नोट का फ्लो 15 से 30 फीसद था, अब 2-5 फीसदी===दो वर्ष पूर्व तक दो हजार के नोट का फ्लो लेने-देन में 15 से 30 फीसद था। वह अब घटकर दो से पांच फीसद पर आ गया है। पांच सौ के नोट नकद लेने-देन इन दोनों ज्यादा उपयोग हो रहे हैं। किसी भी एटीएम से अब दो हजार के नोट नहीं निकलते हैं। बैंकों भी दो हजार के नोट अपने ग्राहकों को नहीं देते हैं।

रिजर्व बैंक ने बंद कर दी दो हजार के नोटों की छपाई==साल 2016 नवम्बर माह में भारत सरकार ने कालाधन और जमाखोरी को देखते हुए नोटबंदी का ऐलान किया था। उस समय अधिकांश लोगों को खासी दिक्कतें उठानी पड़ी थी। जिसके बाद दो हजार, पांच सौ और दो सौ के नये नोट चलन में लाए गए थे। बाजारों से गायब हो रहे दो हजार नोट के बारे में हाल ही में यूपी के उन्नाव के पूर्व नौसैनिक संदीप पांडेय ने सूचना के अधिकारी के तहत रिजर्व बैंक से जानकारी मांगी थी। इसके जवाब में भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण लिमिटेड के केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी एस रवि कुमार ने बताया कि पिछले दो सालों से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा 2,000 के एक भी नोट नहीं छापे गये हैं।

उन्होंने बताया कि पिछले दो सालों से दो हजार के नोट की छपाई न होने से बजारों से नोट गायब हो रहे हैं। हालांकि इसका कारण नहीं बताया गया। माना जा रहा है कि सरकार साकारात्मक सोच व नीति के साथ बड़े अंक के नोटों को चलन से बाहर कर कालेधन को धीरे-धीरे समाप्त करने की दिशा में आगे बढ़ रही है। काले धन के संचयन में बड़े नोटों का अधिक योगदान होता है और अगर वो चलन से बाहर हो जाएं तो कालेधन के संचय पर लगाम लग सकती है।

दो हजार का नोट बाजार से गायब होने को लेकर लोगों की राय…दो हजार का नोट देखे हुए करीबन 6 महीने से ऊपर हो गया है। बैंक या एटीएम में भी दो हजार का नोट नहीं निकलते हैं। दो हजार के नोट से खरीदारी करने में भी ठोड़ी थोड़ी परेशानी होती थी, पांच सौ के नोट में बेहद आसानी हो रही है।

-रंजीत सिंह, गांधी नगर

दो हजार के नोट लेने के लिए भी कई लोग कतरा रहे थे, मन में शंका था कि इतने बड़े नोट अगर जाली निकल जाए तो काफी नुकसान हो जाएगा। छोटे नोट से काफी सुहिलियत महसूस होती हैं।

-नरेश महतो, धोखरा

मेरे पास करीबन 1 साल पहले दो हजार के चार नोट थे। लेकर सब्जी खरीदने के लिए भी बाजार गया था पर चेंज नहीं मिलने से खरीदारी करने में परेशानी हुई। इसलिए उसे बैंक में जमा कर दिया।

-रवि सोनी, मनईटांड़

दो हजार के बड़े नोट बड़े समान की खरीदारी करने के लिए बेहतर है। लेकिन कोरोना काल से प्रभावित जिस प्रकार आमदनी में मंदी छाई हुई है। अधिक्तर दुकानदार व खरीदार बड़े नोट को देखना भी पसंद नहीं कर रहे हैं।

– निशांत सिंह, बैंक मोड़