पश्‍च‍िम चंपारण में इस बार एपीओ बनाने में वीटीआर प्रशासन को करनी पड़ रही है मशक्कत

बेतिया {शशि कुमार मिश्र} :-इस बार वीटीआर प्रशासन को वार्षिक कार्ययोजना (एपीओ) बनाने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। उसे पिछले वर्ष भेजी गई कार्ययोजना एवं उसमें केन्द्र सरकार की ओर से हुई करीब 35 प्रतिशत कटौती की चिंता सता रही है। कही ऐसा हुआ, तो फिर उतनी राशि की व्यवस्था करने में राज्य निधि का सहारा लेना पड़ सकता है। इसे ध्यान में रखते हुए पूरी बारिकी के साथ एपीओ बनाया जा रहा है।

ताकि जितनी की कार्ययोजना भेजी जाए, उसमें कटौती नहीं और उस राशि से वीटीआर में सुरक्षाकर्मियों के भुगतान करने में कोई परेशानी नहीं हो। इस बार भी कोरोना की मार से आहत देश की अर्थव्वस्था अभी उबरी नहीं है। इसमें कटौती की संभावना वर्तमान की कार्ययेाजना में भी बन सकती है। इसे देखते हुए समेकित रूप से कार्ययोजना बनाने का काम अंतिम चरण में है। अब देखना है कि इस बार कितनी की कार्ययोजना भेजी जा रही है और राशि स्वीकृति का क्या परिणाम होता है।

13 करोड़ 98 लाख में स्वीकृत हुए थे 10 करोड़ 64 लाख :- पिछले वर्ष वीटीआर से भेजी गई 13 करोड़ 98 लाख रुपये की वार्षिक कार्ययोजना में दो किश्तों में 10 करोड़ 64 लाख रुपये स्वीकृत किए गए थे। इसमें पहली किश्त के तौर पर 5 करोड़ 32 लाख 27 हजार रुपये स्वीकृत किए गए थे।

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जो सितंबर माह मिली थी। शेष राशि फरवरी में आई थी। कम राशि आने के कारण वीटीआर प्रशासन को राज्य निधि से राशि लेनी पड़ी थी। ताकि यहां अस्थाई तौर पर लगे सुरक्षा कर्मियों के मानदेय का भुगतान कराया जा सके। कम राशि होने के कारण 158 सुरक्षाकर्मियों की छटनी की नौबत आ गई थी।

बजेटरी कंस्ट्रैंट(आर्थिक तंगी) बताकर की गई थी कटौती :- पिछली बार की वार्षिक कार्ययोजना की राशि में कटौती का कारण सरकार ने बजेटरी कंस्ट्रैंट(आर्थिक तंगी) बताई थी। इसे मुख्य आधार बताते हुए वीटीआर जैसे महत्वपूर्ण सेगमेंट में राशि की कटौती की गई। हालांकि केन्द्र सरकार ने राशि की कटौती का संकेत पहले ही दे दी थी।

इसके अनुरूप ही राशि स्वीकृत की थी। पिछले वर्ष की वार्षिक कार्ययेाजना में कटौती को ध्यान में रखते हुए इस बार समेकित रूप से इसे तैयार किया जा रहा है। ताकि कही से कोई कमी नहीं रह जाय। नेशामणि, क्षेत्र निदेशक वीटीआर