नई दिल्ली। लॉकडाउन में घर से काम करने से मोबाइल फोन, लैपटॉप जैसी वस्तुओं की आवश्यकता बढ़ जाती है। लेकिन अगर इस दौरान आपका मोबाइल फोन या लैपटॉप खराब हो जाता है, तो आपको नए मोबाइल फोन और लैपटॉप के लॉक खुलने का इंतजार करना होगा। इसका कारण यह है कि एक तरफ सरकार डिजिटल इंडिया को बढ़ावा देने में जुटी है और दूसरी तरफ, मोबाइल फोन, लैपटॉप और अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स गैजेट्स को गैर-जरूरी सामान मानती है।
इन दिनों देश के कई राज्यों में लॉकडाउन चल रही है और उन राज्यों में खुदरा दुकानों के बंद होने के कारण मोबाइल की दुकानों को ऑफलाइन नहीं किया जा सकता है। वहीं, ई-कॉमर्स कंपनियों को केवल आवश्यक वस्तुओं को बेचने की अनुमति दी गई है। इसलिए, मोबाइल फोन या लैपटॉप ऑनलाइन नहीं खरीदे जा सकते। कोरोना की दूसरी लहर के कारण, पिछले तीन हफ्तों से दिल्ली में लॉकडाउन चल रही है, उसके बाद महाराष्ट्र में। कई अन्य राज्यों में भी तालाबंदी शुरू हो गई है।
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ई-कॉमर्स कंपनियों के अनुसार, लॉकडाउन वाले राज्यों में उन्हें मोबाइल फोन सहित किसी भी गैजेट को बेचने की अनुमति नहीं है, इसलिए वे ऑर्डर नहीं ले रहे हैं। मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, मोबाइल फोन और गैजेट्स की ऑफलाइन बिक्री लॉकडाउन में बंद है, इसलिए इन वस्तुओं की ऑनलाइन बिक्री की अनुमति नहीं है, ताकि ऑफलाइन व्यापारियों को व्यावसायिक नुकसान न हो।
सीआईआई की राष्ट्रीय आईसीटीई विनिर्माण समिति के अध्यक्ष विनोद शर्मा ने कहा कि उन्होंने सरकार से मोबाइल फोन को आवश्यक वस्तुओं की सूची में शामिल करने की मांग की है, ताकि लॉकडाउन के दौरान भी मोबाइल फोन खरीदे जा सकें। घर से काम के बढ़ते चलन के मद्देनजर अब मोबाइल और लैपटॉप आवश्यक वस्तु बन गए हैं। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों तरह के मोबाइल फोन और गैजेट्स के बंद होने से कुल बिक्री में गिरावट आई है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, वर्तमान में, कौन सी वस्तु को आवश्यक और गैर-आवश्यक वस्तुओं की श्रेणी में शामिल किया जाना है, यह राज्यों पर निर्भर करता है। लेकिन बाद में मोबाइल फोन को आवश्यक वस्तुओं की श्रेणी में शामिल माना जा सकता है। औद्योगिक संगठनों के अनुमान के मुताबिक, भारत में इस साल स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं की संख्या 76 करोड़ होगी।
Source-jagran