Bihar News: गुणवत्ता प्रभावित इलाके में पेयजल की आपूर्ति की सरकार नियमित जांच करेगी। इसके लिए जिला एवं अनुमंडल स्थित प्रयोगशालाओं को अत्याधुनिक बनाया जा रहा है। लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण मंत्री डा. रामप्रीत पासवान ने बताया कि विभागीय जांच प्रयोगशाला को नेशनल एक्रीडिएशन बोर्ड फार टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लेबोरेट्रीज से प्रमाण पत्र दिलाने की कोशिश हो रही है।
उन्होंने बताया कि गुणवत्ता प्रभावित इलाके में लौह, आर्सेनिक और फ्लोराइड की जांच सिर्फ नल जल योजना के जल की ही नहीं होगी। बल्कि इन बसावटों में उपलब्ध सभी जल स्रोतों की नियमित जांच होगी।
सरकार ने उपलब्ध करा दी है पर्याप्त राशि : मंत्री ने बताया कि जिला स्तरीय प्रयोगशालाओं को आधुनिक बनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार से पर्याप्त राशि मिल चुकी है। इसके अलावा अवर प्रमंडल स्तर के प्रयोगशालों को भी सुदृढ़ किया जा रहा है।
राज्य में इनकी संख्या 76 है। विभाग क्षमता संबद्र्धन योजना भी चला रहा है। इसके तहत विभागीय अधिकारियों एवं कर्मियों के अलावा स्वयं सहायता समूहों तथा संस्थाओं को भी प्रशिक्षण दिया जाएगा।
- गुणवत्ता प्रभावित जिले में पेयजल के सभी स्रोतों की होगी जांच
- राज्य में जिला एवं अनुमंडल स्तर पर प्रयोगशाला तैयार करने की योजना
ये हैं गुणवत्ता प्रभावित जिले :
फ्लोराइड:-नालंदा, रोहतास, कैमूर, औरंगाबाद, गया, नवादा, भागलपुर, मुंगेर, बांका, शेखपुरा एवं जमुई।
लौह:- दरभंंगा, पूर्णिया, किशनगंज, कटिहार, अररिया, सहरसा, सुपौल, मधेपुरा, भागलपुर, मुंगेर, बेगूसराय एवं खगडिय़ा।
आर्सेनिक:-बक्सर, भोजपुर, पटना, वैशाली, सारण, समस्तीपुर, दरभंगा, भागलपुर, मुंगेेर, लखीसराय, बेगूसराय, खगडिय़ा, कटिहार एवं सीतामढ़ी।