किसान की बेटी बनीं हवाई जहाज की पायलट, बेटी के सपनों को पूरा करने के लिए बेच दिए थे..

सपने तो हर कोई देखता है लेकिन सपने पूरे उन्हीं के होते हैं जो उसके लिए जीतोड़ मेहनत करते हैं। इसीलिए कहा गया है, ‘मंजिल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है।’ आज हम जिस होनहार बेटी के बारे में आपको बताने जा रहे हैं उसके सपने भी बहुत बड़े थे और हौंसला व जज्बा उससे भी बड़ा था। उसे आसमान की ऊंचाईयों को छूना था। वो बादलों के बीच उड़ान भरना चाहती थी।

वो अपनी सफलता को आकाश में बिखेर देने का सपना देखती थी। अपने सपनों को उड़ान देने वाली उस लड़की का नाम मैत्री पटेल है। वो देश की उन लड़कियों में शामिल हैं जिन्होंने बेहद कम उम्र में हवाई जहाज चलाने का मौका मिला. अपने किसान पिता के सपनों को पूरा करने के लिए बेटी ने कड़ी मेहनत से कमर्शियल प्लेन का सर्टिफिकेट हासिल कर पायलट बनने का सपना पूरा कर लिया है. आइए जानते हैं मैत्री पटेल के इस सफर के बारे में

कौन हैं (Maitri Patel) मैत्री पटेल..

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19 साल की बेटी मैत्री पटेल बचपन से ही पायलट बनना चाहती थी। मैत्री के इस सपने को पूरा करने में उनके पिता कांतिलाल पटेल का बहुत बड़ा योगदान रहा है। कांतिलाल वैसे तो पेशे से किसान है, लेकिन सूरत म्युनिसिपल कॉरपोरेशन में भी काम करते हैं। अपनी बेटी के सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने अपनी खेती तक बेंच दी।

दरअसल, पायलट के कोर्स की फीस बहुत ज्यादा होती है और इतने पैसे मैत्री के पिता के पास नहीं थे, इसलिए उन्होंने बैंक से लोन के लिए अप्लाई किया, लेकिन बैंक से लोन नहीं मिल पाया। आख़िर में किसान पिता ने अपनी खेती की जमीन बेचकर अपनी बेटी को पढ़ाया और उसके सपनों को साकार करने में मदद की।

11 महीने में ट्रेनिंग पूरी कर बनी पायलट..

गुजरात के सूरत की रहने वाली मैत्री ने Metas Adventist School से 12वीं की पढ़ाई करने के बाद पायलट बनने की ट्रेनिंग ली। मैत्री की ट्रेनिंग अमेरिका में हुई है। वैसे तो कमर्शियल विमान उड़ाने की ट्रेनिंग 18 महीने में पूरी होती है, लेकिन मैत्री पटेल ने ये ट्रेनिंग सिर्फ़ 11 महीने में ही पूरी कर ली। नियम के मुताबिक जो लोग 18 महीने में भी ट्रेनिंग पूरी नहीं कर पाते, उनके ट्रेनिंग पीरियड को 6 महीने बढ़ा दिया जाता है।

हालांकि मैत्री ने समय से पहले ट्रेनिंग पूरी कर सबको हैरान कर दिया है साथ ही साथ सबसे युवा कमर्शियल पायलट का खिताब भी अपने नाम कर लिया है। अब उन्हें कमर्शियल प्लेन उड़ाने का लाइसेंस मिल गया है। फिलहाल भारत में विमान उड़ाने के लिए मैत्री को देश के नियम-कायदों को पास करना होगा। जिसके बाद वो भारत में पायलट के तौर पर उड़ान भर सकेंगी।

पिता का सपना बेटी ने किया पूरा

मैत्री के पिता कांतिलाल पटेल बताते हैं कि वो कई लोगों को सूरत से मुंबई हवाई अड्डे तक ले जाते थे। उन्होंने कई हवाईजहाज़ों को लैंड और टेक ऑफ़ होते देखा तो ये निश्चित किया कि उनकी बेटी भी एक दिन हवाई जहाज़ उड़ाएगी और दुनिया घूमेगी। हालांकि किसान पिता और उनकी बेटी के लिए ये सफर आसान नहीं रहा। संघर्ष की घड़ी में उन्होंने साहस दिखाया और हार नहीं मानी। नतीजतन, ये कहानी एक प्रेरणा बनकर उभरी है।