जिले में बस नाम का रह गया है विजिलेंस का प्रक्षेत्रीय कार्यालय

सहरसा। विजिलेंस का नाम सुनते ही रिश्वतखोरों व भ्रष्टाचारियों के होश उड़ने लगते हैं लेकिन सहरसा का प्रक्षेत्रीय कार्यालय अब भी नाम का रह गया है। कार्यालय लगभग बंद ही हो गया है। यहां एक भी अधिकारी पदस्थापित नहीं हैं। भागलपुर और मुजफ्फरपुर से संचालन हो रहा है जिसके कारण इलाके में विजिलेंस का खौफ घटता जा रहा है।

वर्ष 2007 में खुला था प्रक्षेत्रीय कार्यालय

सहरसा प्रमंडल मुख्यालय में निगरानी अन्वेषण ब्यूरो का कार्यालय पांच फरवरी 2007 को खुला था। कार्यालय का उद्घाटन उस समय के डीआइजी विमलेश प्रसाद सिंहा ने किया था। उस समय एक इंस्पेक्टर, एक सब इंस्पेक्टर, चालक व सिपाही की पदस्थापना हुई थी। बाद में डीएसपी स्तर के अधिकारी भी बैठने लगे थे। इस कार्यालय के अंतर्गत सहरसा, सुपौल, मधेपुरा, पूर्णिया, अररिया, कटिहार व किशनगंज आता था। लेकिन वक्त के साथ ही यह कार्यालय लगभग बंद हो गया। कार्यालय जिस तीन कमरे में चल रहा था उसमें कहा जाता है कि विजिलेंस के ही दो कर्मी आवास बनाकर रहने लगे हैं।

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ढ़ाई साल से नहीं हुई है कार्रवाई

ढ़ाई साल पहले विजिलेंस ने सहरसा में कहरा के सीओ अनिल सिंह को घूस लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया था। उससे पहले पूर्व सिविल सर्जन डा. जमालउद्दीन, जिला योजना पदाधिकारी रवींद्र कुमार, एनआरईपी एसडीओ श्याम किशोर प्रसाद, भवन निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता समेत कई सरकारी कर्मी की गिरफ्तारी हो चुकी है। लेकिन उसके बाद से विजिलेंस की कार्रवाई जिले में लगभग ठप ही पड़ गई है। यही नहीं कई मामलों की जांच पहले सहरसा कार्यालय से होती थी। वह भी अब मुजफ्फरपुर व भागलपुर से हो रही है। सूत्रों के अनुसार जब कार्यालय चल रहा था उस समय में करीब तीन सौ मामले की जांच हुई थी। जिस रिपोर्ट के आधार पर मुख्यालय से कार्रवाई भी की गई थी।

सहरसा का कामकाज भी अब भागलपुर व मुजफ्फरपुर से होने लगा है। लगातार कार्रवाई हो रही है। शिकायत मिलने पर जांच कर कार्रवाई की जाती है।

मनोज कुमार, डीएसपी, विजिलेंस, भागलपुर।