दिघलबैंक (किशनगंज) : प्रखंड में करीब 85 दिनों तक उत्पाद मचाने के बाद शुक्रवार की रात धनतोला से हाथियों का झुंड वापस नेपाल के जंगल में गया। हाथियों के झुंड को वापिस जंगल भेजने में वन विभाग की टीम लगातार मशक्कत करती रही। हाथियों के जंगल वापस लौट जाने से वन कर्मियों सहित स्थानीय किसानों ने राहत की सांस ली है। बता दें कि लंबे समय तक हाथियों का झुंड धनतोला में डेरा जमाए था और फसल और लोगों के मकान को ध्वस्त कर उत्पात मचा रहा था।
हाथियों को जंगल वापिस भेजने के लिए गुरुवार से वन प्रमंडल पदाधिकारी नरेश प्रसाद और वनों के क्षेत्र पदाधिकारी उमा नाथ दुबे सदल बल कैंप किये हुए थे। शुक्रवार देर शाम हाथियों के वापिस लौट जाने की जानकारी देते हुए वनों के क्षेत्र पदाधिकारी उमा नाथ दुबे ने बताया कि गुरुवार को मौसम खराब होने की वजह से रेसक्यू सफल नहीं हो पाया।
शुक्रवार शाम ढ़लते से पूर्व ही पूरी तैयारी के साथ एक बार फिर रेसक्यू शुरू किया गया। रात करीब साढ़े नौ बजे हाथियों को सकुशल ड्राइव करते हुए भारत नेपाल सीमा के समीप तक लाया गया। जो धीरे-धीरे नदी को पार करते हुए नेपाल के जंगलों की और बढ़ता चला गया।
उन्होंने बताया गया धनतोला पंचायत भवन में लगाए गए अस्थाई कैंप में अभी और कुछ दिनों तक दो वन कर्मी मौजूद रहेगें, जो सीमावर्ती क्षेत्रों में हाथियों पर नजर बनाएं रखेगें। दो महीने से अधिक दिनों तक डेरा जमाए रहा हाथियों का झुंड::
मक्का का सीजन शुरू होते ही जनवरी माह के पहले सप्ताह से ही धनतोला पंचायत के गांवों में हाथियों का प्रवेश करना शुरू हो गया था। पूर्व के दिनों में केवल रात के समय ही जंगल से हाथियों का झुंड फसलों में प्रवेश कर जाता और फिर सुबह होते ही जंगल वापस लौट जाता। पर 17 मार्च की रात 13 की संख्या में जंगल से आए हाथियों का एक बड़ा झुंड दो महीने तक डेरा जमाए रहा।
इन बीते दिनों में हाथियों ने ग्रामीणों के साथ साथ वन कर्मियों की रात की नींद खराब कर दी। लोग हाथियों से अपने फसलों और घरों को बचाने के लिए रात जग्गा करते रहे। जानकारी के मुताबिक 13 हाथियों के झुंड से नौ हाथी एक सप्ताह पूर्व खुद से जंगल लौट गया था। पूर्व के वर्षों में से देखा गया है कि जैसे जैसे मक्का की फसल शुरू होता है सीमावर्ती क्षेत्रों में हाथियों का प्रवेश होने लगता है और फिर जैसे जैसे मक्के की फसल खत्म होने लगता है।
बरसात पूर्व हाथी अपने से जंगल लौट जाता है। इस बार भी वही देखा गया 13 की संख्या में डेरा जमाए हाथियों के झुंड से आठ हाथी एक सप्ताह पूर्व बिना भगाए खुद से बूढ़ी कनकई को पार करते हुए नेपाल लौट गया था। बांकी बचे पांच हाथियों को शुक्रवार की रात वनकर्मियों ने रेसक्यू करते हुए भगाया। इस बार हाथियों के चपेट में आने एक कि महिला की मौत जबकि एक युवक घायल हो गया। स्थानीय लोग बताते हैं कि हाथियों का झुंड इस बार भारी तबाही मचाया है।
हाथियों ने दर्जनों लोगों के कच्चे घरों सहित सैकड़ों एकड़ में लगे मक्के और गरमा धान की फसल को नष्ट कर डाला। जबकि 9 मार्च की रात खोंसीटोला गांव में हाथियों के द्वारा तोड़े गए कच्चे घर में दबने से एक वृद्ध महिला मौत हो गई थी। वहीं 30 मार्च को धनतोला के खाड़ीटोला गांव में मक्का पटवन करने गए एक युवक चपेट में आने से गंभीर रूप से घायल हो गया था। हाथियों के वापस होने पर अब लोगों ने राहत की सांस ली है।