Chaiti Chhath Puja 2021: लोक आस्था के महापर्व चैती छठ का चार दिवसीय महापर्व 16 अप्रैल (शुक्रवार) को नहाय-खाय से शुरू होता है। छठ पूजा मुख्य रूप से प्रत्यक्ष देवता भगवान भास्कर की पूजा का त्योहार है। मान्यता है कि छठ पर्व में सूर्योपासना करने से छठ माता प्रसन्न होती हैं। परिवार में, यह सुख, शांति और धन से भरा है।
इस बार भी कोरोना संक्रमण का खतरा लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में शहर के कई व्रतियों ने छठ को लेकर सतर्कता बरतने की तैयारी शुरू कर दी है। वहीं, कई लोगों ने इस बार की स्थिति को देखते हुए छठ नहीं करने का फैसला किया है। यहां गर्मी पूरे राज्य में है, किसी भी जिले में तापमान 41 से 42 डिग्री तक पहुंच गया है।
Chaiti Chhath Puja 2021: छठ महापर्व पर ग्रह-गोचरों का शुभ संयोग
ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा ने कहा कि 16 को रवियोग तथा सौभाग्य योग के युग्म संयोग में नहाय-खाय के साथ छठ महापर्व का चार दिवसीय अनुष्ठान शुरू होगा। 17 अप्रैल शनिवार को शोभन योग में खरना का पूजा होगा। 18 को रविवार दिन के साथ रवियोग में भगवान भास्कर को सायंकालीन अर्घ्य तथा सुकर्मा योग में व्रती प्रातःकालीन अर्घ्य देकर व्रत को पूर्ण करेंगे।
यह पर्व पारिवारिक सुख समृद्धि और मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए व्रती पूरे विधि-विधान से छठ का व्रत करेंगी। इस पर्व को करने से रोग, शो पीक, भय आदि से मुक्ति मिलती है। छठ व्रत करने की परंपरा ऋग्वैदिक काल से ही चला आ रहा है. व्रति 36 घंटा निर्जला उपवास रखती हैं।
Chaiti Chhath Puja 2021: नहाय-खाय एवं खरना के प्रसाद से दूर होते कष्ट
छठ महापर्व के प्रथम दिन नहाय-खाय में लौकी की सब्जी, अरवा चावल, चने की दाल, आंवला की चासनी के सेवन का खास महत्व है।वैदिक मान्यता है कि इससे पुत्र की प्राप्ति होती है। वहीं, वैज्ञानिक मान्यता है कि गर्भाशय मजबूत होता है। खरना के प्रसाद में ईख के कच्चे रस, गुड़ के सेवन से त्वचा रोग, आंख की पीड़ा समाप्त हो जाते है। वहीं, इसके प्रसाद से तेजस्विता, निरोगिता व बौद्धिक क्षमता में वृद्धि होती है।
Chaiti Chhath Puja 2021: चैती छठ इस प्रकार से
16 अप्रैल- नहाय-खाय
17 अप्रैल-खरना
18 अप्रैल- संध्या अर्घ्य
19 अप्रैल- सुबह अर्ध्य सह छठ का समापन