अग्निपथ स्कीम को लेकर मचे बवाल पर बोले तेजस्वी, नरेंद्र मोदी सरकार से पूछे 20 सवाल

केंद्र सरकार की तरफ से लाई गई अग्निपथ स्कीम को लेकर देश के कई राज्यों में विरोध हो रहा है। बिहार में मुख्य विपक्षी पार्टी आरजेडी ने केंद्र सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाया है।

इस योजना को को लेकर विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने केंद्र सरकार से 20 सवाल पूछे हैं। उन्होंने कहा कि अग्निपथ योजना को लेकर युवाओं के मन में संशय की स्थिति है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस पर जवाब देना चाहिए। वहीं उन्होंने बिहार एनडीए में मचे घमासान पर कहा कि अगर बीजेपी को सरकार का कामकाज पसंद नहीं है तो वह सरकार में क्यों बनी हुई है।

केंद्र सरकार के फैसले से देश के युवा दुखी हैं और उनमें सरकार के प्रति गहरा आक्रोश है। अग्निपथ स्कीम को लेकर युवाओं के मन में संशय की स्थिति है। केंद्र सरकार जो भी कानून लेकर आती है वह फेल हो जाती है। सरकार संसद में बिल पेश करती है और आंदोलन के बाद वापस ले लेती है। इससे पहले भी एनटीपीसी को लेकर शांतिपूर्ण ढंग से छात्र अपनी मांगों को रख रहे थे लेकिन उनकी मांग सुनने वाला कोई नहीं था, लेकिन जब उग्र आंदोलन हुआ तो सरकारी की नींद खुली।

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तेजस्वी ने केंद्र सरकार के समक्ष अपने 20 सवाल रखे और सरकार से उसपर जवाब मांगा। उन्होंने केंद्र सरकार से पूछा है कि चार साल के ठेके पर बहाल होने वाले अग्निवीरों को क्या नियमित सैनिकों की तरह 90 दिनों की छुट्टियां मिलेंगी।

अग्निपथ योजना अगर न्याय संगत है तो इसके माध्यम से सीनियर अफसरों की भर्ती क्यों नहीं हो सकती। तेजस्वी ने पूछा कि यह योजना शिक्षित युवाओं के लिए मनरेगा है या संघ का कोई एजेंडा। इसके साथ ही तेजस्वी ने एक के बाद एक कई सवार केंद्र की मोदी सरकार से पूछे हैं।

तेजस्वी ने कहा कि विपक्ष का काम होता है जनता के सवालों को उठाना,हमने कभी भी हिंसा का समर्थन नहीं किया है। इसका एक ही समाधान है कि सरकार लोगों की समस्या को दूर करे। इसपर पीएम नरेंद्र मोदी को जवाब देना चाहिए। वहीं उन्होंने सत्ताधारी बीजेपी के द्वारा अपनी सरकार पर सवाल उठाने पर कहा कि जब बीजेपी अपनी ही सरकार को फेल बता रही है तो सरकार में क्यों बनी हुई है।

तेजस्वी ने कहा कि सरकार की जिम्मेवारी है कि वह हिंसा रोके लेकिन सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है। युवाओं की मांग पर सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं दिया गया। इस दौरान तेजस्वी ने रेलवे के निजीकरण पर सवाल उठाए।