नई दिल्ली, आइएएनएस। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केंद्रीय एजेंसियों (सीबीआइ और ईडी) द्वारा पूर्व सांसदों और विधायकों के खिलाफ जांच पूरी करने में देरी पर चिंता जताई है। मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने बुधवार को सालिसिटर जनरल तुषार मेहता को सीबीआइ और ईडी के निदेशकों के साथ इस मसले पर बातचीत करने को कहा ताकि असल समस्या का पता लगाया जा सके। शीर्ष अदालत ने यह निर्देश इसलिए दिया ताकि पता लगाया जा सके कि समय के भीतर जांच पूरी करने के लिए कहीं अतिरिक्त मेनपावर की जरूरत तो नहीं है।
मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना (NV Ramana) ने न्यायमित्र (Amicus Curiae) की ओर से दाखिल रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि बेहद दुख की बात है सीबीआइ और ईडी की ओर से सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों की स्थिति रिपोर्ट संतोषजनक है। केंद्रीय एजेंसियों की ओर से 10 से 15 साल तक चार्जशीट दाखिल नहीं किए जाने की कोई वजह नजर नहीं आती। जहां तक प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी की बात है तो कई मामलों में करोड़ों की संपत्ति कुर्क की जाती है लेकिन कोई चार्जशीट तक दाखिल नहीं होती है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि महज संपत्ति कुर्क कर देने भर मकसद हासिल नहीं हो जाता। मामले में न्यायमित्र एवं वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसरिया (Vijay Hansaria) ने एनडीपीएस अधिनियम के तहत दर्ज 2013 के एक मामले का जिक्र किया। इस केस में साल 2017 में आरोप तय किए गए थे जबकि यह विशेष न्यायाधीश एनडीपीएस एफटीसी मणिपुर के समक्ष लंबित है। हंसरिया ने कहा कि ट्रायल पूरा होने का संभावित समय 2030 आंका गया है। इस पर अदालत ने हैरानी जताई और सालिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि कुछ करिए सुनवाई समय पूरी होनी चाहिए। यदि मामले में कोई दोषी है तो उसे सजा सुनाई जानी चाहिए।
न्यायमित्र विजय हंसरिया (Vijay Hansaria) ने कहा किया कि सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। 51 सांसद और 71 विधायक, एमएलसी धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 के तहत आरोपी हैं। अदालतों में सांसदों और विधायकों के खिलाफ सीबीआइ के कुल 121 मामले लंबित हैं। इस पर मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि हमारी ही तरह जांच एजेंसियां भी मेनपावर और बुनियादी ढांचे की कमी से जूझ रही हैं। न्यायाधीशों की तरह जांच एजेंसियों पर भी बहुत अधिक बोझ है। इस मसले पर विस्तार से दलीलें सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने कहा कि वह आदेश पारित करेगी।
Source-dainik jagran