मुसीबत बने आवारा कुत्ते, हर दिन 10 से 12 लोगों को बना रहे शिकार

बगहा। हरनाटांड़ सहित थरुहट के ग्रामीण क्षेत्रों के गलियों और चौक चौराहों पर घूम रहे आवारा कुत्ते मुसीबत बन गए हैं। हर दिन 10 से 12 लोग इसका शिकार बन रहे हैं। जिनका इलाज प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हरनाटांड़ में हो रहा है।

पीएचसी हरनाटांड़ की ओपीडी में प्रतिदिन 10 से 12 पीड़ितों को एंटी रैबीज वैक्सीन लगाए जाते हैं। स्थिति यह है कि काफी संख्या में डॉग बाइट के मरीजों के पहुंचने की वजह से पीएचसी में एंटी रैबीज वैक्सीन भी खत्म हो चुकी है। हालांकि पहले परेशानी से बचने के लिए लोग ग्रामीण क्षेत्र में झाड़फूंक पर भी विश्वास करते थे। लेकिन जागरूकता की वजह से अब सरकारी अस्पताल में मुफ्त में लगने वाली एंटी रैबीज वैक्सीन लेना ही बेहतर समझते हैं।

एक सप्ताह के अंदर डॉग बाइट के शिकार 55 लोग पहुंचे अस्पताल : बीते एक सप्ताह के आंकड़ों पर नजर डालें तो सिर्फ हरनाटांड़ पीएचसी में 55 लोगों का इलाज किया गया है। जो कुत्ता के काटने से प्रभावित थे। पीएचसी हरनाटांड़ के चिकित्सक डॉ. इरशाद आलम का कहना है कि डॉग बाइट से पीड़ित व्यक्ति को स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र पहुंचकर एंटी रेबीज वैक्सीन लेना चाहिए। कुत्ता काटने पर पीड़ित को तीन से पांच एंटी रैबीज की डोज जरूरी होता है। काटने वाले कुत्ते पर 10 दिन तक निगरानी भी रखना चाहिए।

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यदि 10 दिन के अंदर कुत्ता मर जाता है, तो माना जाता है कि उसका विष काटने वाले पीड़ित में है और अगर कुत्ता नहीं मरता है, तो पांच डोज पीड़ित को लगाना जरूरी होता है। ग्रामीण क्षेत्रों में कुत्ते के काटने पर उसके विष से निजात के लिए झाड़ फूंक का सहारा लिया जाता है, जो बाद में खतरनाक साबित होता है। इसके लिए जरूरी है कि लोगों को जागरूक किया जाए। ताकि लोग ओझा-सोखा के चक्कर में नहीं फंस सकें। ठंड में बढ़ जाते हैं डॉग बाइट के मामले :आमतौर पर बरसात में कुत्तों के काटने यानी डॉग बाइट के केस में तेजी आ जाती है। चिकित्सक के मुताबिक ये सीजन कुत्तों का मीटिग सीजन होता है, जिसके कारण कुत्ते ज्यादा आक्रामक हो जाते हैं।

वहीं दूसरी ओर नवंबर-दिसंबर कुत्तों का प्रजनन काल होता है। इसी बीच में नए पिल्ले भी पैदा होते हैं। जब पिल्ले पैदा होते हैं तब उसकी मां ज्यादा आक्रामक हो जाती है और पिल्लों को छूने या कुछ करने की कोशिश कोई भी करता है तो कुत्तिया उस पर वार कर देती है। जिसके कारण दिसंबर माह में डॉग बाइट के मामले ज्यादा आते हैं।