सोनपुर (सारण)। Sonepur Mela News: बाबा हरिहरनाथ की नगरी सोनपुर से कोई निराश नहीं लौटता। इस आस्था और विश्वास को लेकर ही सरकार के नहीं चाहने के बावजूद दर्जनों छोटे बड़े कारोबारी तथा दुकानदारों ने सोनपुर मेले में अपनी-अपनी दुकानें लगायी हैं। इन दुकानदारों और ग्राहकों भीड़ से यह अघोषित मेला कार्तिक पूर्णिमा के बाद भी गुलजार हो रहा है। अब इस अघोषित मेले की सुरक्षा प्रशासन का दायित्व है। इस संबंध में शनिवार की शाम एसडीओ सुनील कुमार ने बताया कि सरकार ने मेला लगाए जाने की अनुमति नहीं दी है। मेला करके कुछ भी नहीं है। बावजूद इसके जो लोग यहां आए हैं उनकी सुरक्षा हमारा दायित्व है। प्रशासन उन्हें सुरक्षा प्रदान करेगा।
फेरी के नाम पर वसूली करने वालों से सख्ती से निपटेगा प्रशासन
एसडीओ ने बताया कि नखास की भूमि में जो स्थानीय फुटपाथी दुकानदारों ने अपनी दुकानें लगायी हैं उनसे यदि कोई फेरी के नाम पर पैसे वसूल करता है तब ऐसे लोगों के साथ सख्ती से निबटा जाएगा। इस संबंध में एएसपी अंजनी कुमार ने बताया कि मेला नहीं लगा है फिर भी मेला एरिया में कितने दुकानदार हैं और यहां आने वाले यात्रियों की संख्या कितनी है, इसकी समीक्षा की जाएगी। इसके बाद सुरक्षा के मद्देनजर अतिरिक्त पुलिस बल के लिए जिला प्रशासन को लिखा जाएगा। मालूम हो की बिहार सरकार ने केवल कार्तिक पूर्णिमा स्नान की ही अनुमति दी थी, मेला के लिए नहीं। इन सब बातों से बेखबर कार्तिक पूर्णिमा में न केवल यहां लाखों श्रद्धालुओं के भीड़ पहुंची बल्कि दर्जनों की संख्या में छोटी बड़ी दुकानें भी सज गई। यह सब बाबा हरिहरनाथ में आस्था और विश्वास का परिणाम है।
सोनपुर के गजेंद्रमोक्ष में श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञानयज्ञ का शुभारंभ
नारायणी नदी के पावन तट पर सोनपुर के श्रीगजेंद्र मोक्ष देवस्थानम मंदिर में शनिवार को श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञानयज्ञ धूमधाम से शुभारंभ हो गया। सात दिवसीय यह ज्ञान यज्ञ 26 नवंबर तक चलेगा। इसे लेकर सुबह में कलश यात्रा निकाली गई। हरिहरनाथ मंदिर होते हुए सोनपुर नगर की परिक्रमा करते गंडक नदी गजेंद्र मोक्ष घाट पर पहुंचकर वरुण देवता का पूजन किया गया। इस दौरान जल-मातृका, थल-मातृका एवं स्थल-मातृका का पूजन कर जलाहरण किया गया एवं कथा स्थल पर कलश स्थापित किया गया। समस्त देवी-देवताओं का आह्वान किया गया।
यज्ञ आरंभ होने के बाद दो बजे दिन से संध्या पांच बजे तक धर्म मंच पर विराजमान होकर जगद्गुरु स्वामी लक्ष्मणाचार्य ने उपस्थित श्रोताओं को संबोधित करते हुए कहा कि श्रीमद्भागवत महापुराण की कथा श्रवण करने मात्र से धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है। मानव जीवन में कम से कम एकबार संकल्पित होकर कथा अवश्य सुनना चाहिए। कथा श्रवण की परंपरा करीब 50 हजार करोड़ साल पुरानी है। मानव जीवन जीने की कला जिसमें समाहित हो वही श्रीमद्भागवत है।
लक्ष्मणाचार्य ने कहा कि इसमें चार अक्षर भागवत है। भा का अर्थ भक्ति, ग का अर्थ ज्ञान, व का अर्थ वैराग्य एवं त का अर्थ तरुणि है। जो भक्ति, ज्ञान एवं वैराग्य को जो तरुणी युवती बना दे, वही भागवत है। परमात्मा श्रीहरि से जो संबंध बना दे। माया में रहते हुए माया से जो पार लगा दे, वही कथा है। इस अवसर पर पंडित पवन शास्त्री, गोपाल झा, शिवनारायण शास्त्री, विरेंद्र शास्त्री, रामकृष्ण मिश्र, स्वामी कमलनयनाचार्य अशोक कुमार ओंकार, ङ्क्षसह, श्रीलाल पाठक, सोनू कुमार, निर्मला देवी एवं सोनपुर मुजफ्फरपुर हाजीपुर पटना एवं अन्य क्षेत्रों के भक्त उपस्थित थे।