कैदियों के लिए बिहार के इस IAS अफसर का छलका दर्द, कहा- मिट्टी में गाड़ कर फोन रखते थे कैदी

भागलपुर :- जेल के बारे कई तरह की बाते कही जाती है। लेक‍िन, सच्‍चाई कुछ और होती है। जेल में रहने वाले भी इंसान होते हैं। वे भी आम लोगों की तरह घर-परिवार को लेकर चिंतित रहते हैं। अपनों की खैरियत जानने के लिए वह तरह-तरह के हतकंडे तक अपनाने से गुरेज नहीं करते हैं।

2011 बैच के आइएएस अफसर और पूर्णिया के जिलाधिकारी राहुल कुमार ने इन कैदियों के दर्द को बयां किया है। फेसबुक और ट्वीटर पर पोस्‍ट करते हुए उन्‍होंने लिखा है जेल में छापेमारी के दौरान पहले कई मोबाइल फोन और सिम कार्ड मिलते थे। कैदी इसे खिड़कियों के बाहर, शौचालय में, पौधों के गमलों में मिट्टी के अंदर आदि जगहों पर छुपा कर रखते थे। और ये सब काम वे कक्षपाल की मिलीभगत से करते थे।

इसके पीछे यह धारना थी कि इसका उपयोग वे जेल के अंदर से क्राइम करने के लिए करते थे, लेकिन यह धारना गलत थी। इसके पीछे उनके जीवन का एकाकीपन है, अपना की यादें और घर परिवार की चिंता है। फोन के माध्‍मय से वे अपने घर-परिवार से बात करते थे। लेकिन अब इसकी जरूरत नहीं है। विभाग के आदेश से जब से जेल के अंदर फोन बूथ की शुरुआत हुई तब से कैदियों को मोबाइल का जुगाड़ करने की जरूरत नहीं रह गई है।

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अपनी नौकरी की शुरुआत में SDM के तौर पर या कुछ वर्ष पूर्व तक जिलाधिकारी के रूप में भी जब जेल में छापेमारी के लिए जाता था तो मोबाइल और सिम कार्ड सबसे common recoveries में शामिल होते थे। देर रात या अहले सुबह की रेड में जेल वार्ड की खिड़कियों के बाहर, शौचालयों में, पौधों के गमलों में मिट्टी के भीतर, ईंट के नीचे छुपाकर रखे हुए सिम कार्ड और मोबाइल के अलग-अलग किए हुए हिस्से मिलते थे।

फ़िल्म और मीडिया द्वारा बनाए गए perception के कारण बाक़ियों की तरह मुझे भी लगता था कि इनमें से अधिकतर का उपयोग जेल के अंदर से क्राइम ऑपरेट करने में होता होगा।हाल के दिनों में रेड के दौरान जब मोबाइल मिलने लगभग बंद हो गए तो सालों से बनी हुई समझ में course correction करने की ज़रूरत महसूस हुई।

वस्तुतः विभाग के आदेश से जब से जेल के अंदर फ़ोन बूथ की शुरुआत हुई तब से ही बंदियों को कक्षपालों से मिलीभगत कर मोबाइल का जुगाड़ करने की ज़रूरत पड़नी बंद हो गयी।

अपवादों को छोड़ दें तो जेल के अंदर मोबाइल क्राइम ऑपरेट करने के बजाए अधिकतर अपनों से बात करने की छटपटाहट में रखे जाते थे। एक नीतिगत निर्णय कई बार ज़मीनी बदलाव लाने के साथ साथ पूर्वाग्रहों पर भी मारक प्रहार कर जाता है।”