बिहार में लालू परिवार के खिलाफ बयानों से चर्चा में साधु यादव; सियासी जमीन गई, भाई ने भी किया विरोध

पटना, आनलाइन डेस्‍क। राष्‍ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) के छोटे बेटे तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने अंतरधार्मिक विवाह क्‍या किया, उनके मामा साधु यादव (Sadhu Yadav) खुलकर बगावत पर उतर आए हैं। उन्‍होंने तेजस्‍वी के पटना आने पर जूतों की माला से स्‍वागत करने की बात कही तो लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) ने मामा को अपनी हद में रहने, नहीं तो गर्दा छुड़ा देने की धमकी दी। साधु ने अपनी भाजियों, बहन राबड़ी देवी (Rabri Devi) व जीजा लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) के खिलाफ भी मोर्चा खोल दिया। साधु यादव के लिए यह लालू परिवार (Lalu Family) का पहला विरोध नहीं है। इसके पहले भी वे राबड़ी देवी के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं। ये वही साधु यादव हैं, जिनकी लालू-राबड़ी राज (Lalu-Rabri Regime) में तूती बोलती थी। लालू के बिहार की सत्‍ता से बाहर जाने के बाद साधु के साथ बहन व जीजा के साथ रिश्‍ते बिगड़े तो वे राजनीति में अर्श से फर्श पर आ गए।

लालू-राबड़ी शासन में थी बड़ी हैसियत

बिहार में लालू प्रसाद यादव एवं राबड़ी देवी की सरकार के दौर में राबड़ी देवी के भाई व लालू के साले अनिरुद्ध यादव उर्फ साधु यादव की बड़ी हैसियत थी। शासन-प्रशासन में उन्‍हें लालू व राबड़ी का दायां हाथ (Right Hand of Lalu and Rabri) माना जाता था। यूं कहें कि तब साधु यादव की बात का अर्थ था लालू व राबड़ी का आदेश। साधु को लालू ने विधान परिषद सदस्‍य (MLC) व विधायक (MLA) बनाया। साल 2004 के लोकसभा चुनाव में साधु यादव गोपालगंज सीट से आरजेडी के सांसद (MP) भी बने। लालू ने अपने दूसरे साले सुभाष यादव (Subhash Yadav) को भी राजनीति में आगे बढ़ाया। लालू के दोनों सालों साधु व सुभाष की जोड़ी की धाक पूरे बिहार में थी।

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चुनाव हार के लिए माने गए जिम्‍मेदार

लेकिन साल 2005 के विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2005) में आरजेडी की करारी हार हुई और नीतीश कुमार (Nitish Kumar) मुख्‍यमंत्री बने। इस सत्ता परिवर्तन के बाद लालू-राबड़ी शासन की कमियों की बातें एक-एकर सामने आने लगीं। खासकर जंगलराज (Jungle Raj) के लिए आलोचना हुई, जिसके लिए लालू परिवार ने राजनीति में सक्रिय अपने उक्‍त दोनों सालों को जिम्‍मेदार माना। साधु यादव व सुभाष यादव के लालू परिवार से संबंध बिगड़ गए। हालांकि, साधु यादव ने खुद को निर्दोष बताते हुए हमेशा सफाई दी कि सारा ठीकरा उनके नाम पर फोड़ा जाता रहा।

लालू ने एलजेपी दी गोपालगंज सीट

लालू परिवार की साधु यादव के रिश्‍तो में लगातार खटास बढ़ती गई। आगे लालू ने 2009 के लोकसभा चुनाव (Lok Shabha Election 2009) में साधु यादव की अब सुरक्षित हो चुकी गोपालगंज सीट लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के खाते में दे दी। इसके बाद साधु यादव ने आरजेडी से नाता तोड़ कांग्रेस (Congress) का हाथ पकड़ा, लेकिन कुछ वक्‍त बाद वहां से भी बाहर हो गए।

बहन राबड़ी के खिलाफ ठाेकी ताल

साधु आज तेजस्‍वी यादव की शादी को लेकर लालू परिवार पर हमलावर हैं। निशाने पर बहन राबड़ी देवी भी हैं। साधु के निशाने पर राबड़ी देवी पहली बार नहीं आईं हैं। साल 2014 के लोकसभा चुनाव (Lok Shabha Election 2014) में उन्‍होंने राबड़ी देवी के खिलाफ सारण सीट पर निर्दलीय ताल ठोका था। इससे वोटरों में गलत संदेश गया तथा लालू परिवार की काफी किरकिरी हुई। परिणाम यह हुआ कि जिस सारण सीट को लालू का गढ़ माना जाता था तथा जहां से लालू प्रसाद यादव ने अपना पहला लोकसभा चुनाव जीता था, वहीं उनकी पत्‍नी भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार राजीव प्रताप रूड़ी से हार गईं।

साधु को सियासी जमीन की तलाश

आगे साल 2015 के विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2015) में साधु यादव ने पप्पू यादव (Pappu Yadav) की जन अधिकार पार्टी (JAP) का दामन थामा, लेकिन फिर चुनाव हार गए। साल 2019 के हालिया लोकसभा चुनाव (Lok Shabha Election 2019) में वे बहुजन समाज पार्टी (BSP) के टिकट पर चुनाव मैदान में कूदे, लेकिन फिर हार गए। वर्तमान की बात करें तो कभी बिहार की राजनीति व आरजेडी में बड़ा कद रखने वाले साधु यादव को अब किसी मजबूत सियासी जमीन की तलाश है। हालांकि, साधु ऐसा नहीं मानते। वे कहते हैं कि उनके बल पर लालू प्रसाद यादव को राजनीतिक जमीन मिली।

लालू परिवार का फिर कर रहे विरोध

साल 2014 के चुनाव के बाद साधु यादव एक बार फिर लालू परिवार का विरोध कर चर्चा में हैं। भांजे तेजस्‍वी यादव की शादी की आलोचना के क्रम में उन्‍होंने जीजा लालू प्रसाद यादव व बहन राबड़ी देवी सहित भांजे तेजस्‍वी यादव व तेज प्रताप यादव को जमकर निशाने पर लिया है। उन्‍होंने अपनी भांजियों को भी नहीं छोड़ा है। लालू परिवार के विरोध को लेकर साधु यादव के अपने तर्क हैं, लेकिन उनके अपने घर से भी विरोध के स्‍वर उठते दिख रहे हैं। भाई प्रभुनाथ यादव ने साधु यादव के बयानों की निंदा करते हुए उन्‍हें गधा करार दिया है। प्रभुनाथ यादव ने लालू को भगवान बताया है।

Source-dainik Jagran