तीन नदियों की बाढ़ से दरभंगा व समस्तीपुर को निजात दिलाने की चल रही तैयारी

दरभंगा। हर साल बरसात में कहर बरपाने वाली कोसी, कमला-बलान और करेह नदियों के प्रकोप को कम करने की योजना पर काम चल रहा है। फ्लड मैनेजमेंट इंप्रूवमेंट एंड सपोर्ट सेंटर की टीम जल संसाधन विभाग के अभियंताओं के साथ अध्ययन में जुटी है। योजना के क्रियान्वयन से दरभंगा और समस्तीपुर के आधा दर्जन से अधिक प्रखंडों को बाढ़ से स्थायी मुक्ति मिलेगी।

दरभंगा-समस्तीपुर की सीमा पर स्थित फुहिया के पास कमला-बलान, कोसी और करेह आपस में मिलती हैं। तीन नदियों के संगम स्थल से पैदा होनेवाली बाढ़ दरभंगा के कुशेश्वरस्थान, घनश्यामपुर, गौड़ाबौराम व बिरौल अनुमंडल के अलावा समस्तीपुर के सिंघिया, शिवाजीनगर व बिथान प्रखंड की बड़ी आबादी प्रभावित होती है। कुशेश्वरस्थान में तो छह महीने तक पानी जमा रहता है। अब सिरिसिया-फुहिया तक करीब 70 किलोमीटर दूरी में बने करेह नदी के बाएं तटबंध में अंतिम बिंदु पर एक एंटी फ्लड स्लूस गेट लगाने की योजना है। यहां करीब तीन किलोमीटर क्षेत्र खुला है, जिसपर बांध का निर्माण नहीं किया जा सका है। समस्तीपुर के बिथान के पास खुले इसी इलाके से बाढ़ का पानी प्रवेश करता है। नई योजना के तहत तटबंध को बढ़ाया जाएगा।

लगाए जाएंगे चार से अधिक एंटी फ्लड स्लूस गेट

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तीनों नदियों के पानी को रोकने और निकासी के लिए चार से अधिक एंटी फ्लड स्लूस गेट भी लगाने पर विचार किया जा रहा है। इससे अधवारा समूह की जीवछ नदी के कोप को भी नियंत्रित किया जा सकेगा। फिलहाल टीम नदियों की प्रकृति और अन्य बिंदुओं पर अध्ययन कर रही है।

इसके बाद डिटेल रिपोर्ट बनाई जाएगी। उसके आधार पर काम आगे बढ़ेगा।अधीक्षण अभियंता प्रिय शंकर अप्पू बताते हैं कि पिछले दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निरीक्षण और निर्देश के बाद काम हो रहा है। योजना के आकार लेने के बाद दरभंगा व समस्तीपुर की बड़ी आबादी को बाढ़ से राहत मिलेगी। जल संसाधन विभाग के मंत्री संजय कुमार झा ने कहा कि मुख्यमंत्री ने स्वयं इलाके का भ्रमण किया है। बाढ़ के पानी के प्रबंधन को लेकर निर्देश दिए गए हैं। पूर्व से संचालित योजनाओं के अलावा अध्ययन कर एक विस्तृत योजना बनाई जा रही है, जिसके तहत काम होंगे।