नवादा : सर्दियों का मौसम शुरू होने के साथ ही नवजात शिशुओं, बुजुर्गों के साथ ही आम लोगों में निमोनिया संक्रमण के मामले भी बढ़ जाते हैं। नवजात शिशुओं एवं अधिक उम्र के बुजुर्गों का रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम होने के कारण उनमें निमोनिया संक्रमण का खतरा काफी अधिक होता है। इस बीमारी से नवजात शिशु से पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चे ज्यादा प्रभावित होते हैं।
निमोनिया क्या है
शिशु रोग विशेषज्ञ डा. महेश कुमार के अनुसार निमोनिया सांस से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है। इसकी वजह से फेफड़ों में संक्रमण होता है। आम तौर पर यह बीमारी बुखार या जुकाम होने के बाद ही होता है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण सर्दी के मौसम में बच्चों में ज्यादा बढ़ता है। निमोनिया का प्रारंभिक इलाज सीने का एक्स रे करने के बाद क्लीनिकल तरीके से शुरू होता है। निमोनिया बैक्टेरिया, माईक्रोबैक्टेरिया, वायरल, फंगल और पारासाइट की वजह से उत्पन्न संक्रमण की वजह से होता है।
ये हैं निमोनिया के लक्षण
कोरोना का खतरा पूरी तरह टला नहीं है। ऊपर से सर्दी भी बढ़ रही है । ऐसे में आपके शिशुओं को कई तरह के शीत जनित रोग हो सकते हैं। ऐसे में ध्यान रखें और यदि शिशु में कंपकपी के साथ बुखार हो, सीने में दर्द या बेचैनी, उल्टी, दस्त, सांस लेने में दिक्कत, गाढ़े भूरे बलगम के साथ तीव्र खांसी या खांसी में खून, भूख न लगना या कम लगना, कमजोरी, होठों में नीलापन जैसे कोई भी लक्षण दिखे तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें। ये निमोनिया के संकेत हैं जिसमें जरा सी भी लापरवाही आपके शिशु के लिए खतरनाक हो सकता है।
न्यूमोकॉकल वैक्सीन है बचाव का बेहतर उपाय-
डा. कुमार ने बताया, शिशु स्वास्थ्य के मजबूत विकास में संपूर्ण टीकाकरण की भूमिका बहुत अहम है। निमोनिया जैसी बीमारी से बचाव में भी न्यूमोकॉकल वैक्सीन (पीसीवी) बेहद कारगर है जो शिशु को लगभग 80 प्रतिशत तक रोगमुक्त कर देता है। इस टीके को शिशु के डेढ़ माह, साढ़े तीन माह और नौ माह के होने पर लगाया जाना अनिवार्य है।
पीसीवी के टीके के अलावा भी कई टीके हैं जिन्हें नवजात शिशु से लेकर पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों को लगाना जरूरी है। ये टीके नवजात शिशुओं को अन्य 12 तरह की बीमारियों से भी बचाते हैं। इन बीमारियों में मुख्य रूप से पोलियो, ट्यूबरक्लोसिस, जैपनीज़ इंसेफलाइटिस, डिप्थीरिया, टेटनस, कुकर खांसी, हेपेटाइटिस बी, एच बी इन्फ्लूएंजा, मिजिल्स, रूबेला है। इन सभी बीमारियों से बचाव के लिए बच्चों का टीकाकरण कर उन्हें सुरक्षित किया जा सकता है।
भीड़-भाड़ और धूल-मिट्टी वाले स्थानों से बच्चों को दूर रखें
निमोनिया एक सांस संबंधी बीमारी है जो ठंड में बढ़ सकती है इसलिए कुछ सावधानी बरतने के बाद काफी हद तक इसके संक्रमण से बचा जा सकता है।
इसके लिए भीड़-भाड़ और धूल-मिट्टी वाले स्थानों से बच्चों को दूर रखें, जरूरत पड़ने पर मास्क और सैनिटाइजर का उपयोग करवाएं। समय-समय पर बच्चे के हाथ धुलवाएं। उन्हें प्रदूषणऔर धूम्रपान से बचाएं, ताकि सांस संबंधी समस्या न रहे। इसके साथ ही वैसे लोगों के संपर्क से दूर रखने की आवश्यकता है जिन्हें पहले से निमोनिया बुखार है।