दिघलबैंक (किशनगंज) : प्रखंड क्षेत्र के सिघीमारी पंचायत के लोगों की जिदगी चचरी पुल के सहारे कट रही है। इससे लोगों को हमेशा खतरे की आशंका बनी रहती है। चचरी पुल कमजोर होने के कारण कई बार लोगों का भार सहन नहीं कर पाता है, और लोग नदी के बीच में ही गिर जाते हैं। हालांकि इस नदी से प्रभावित अधिकतर गांव में जाने के लिए चचरी पुल का सहारा लेना पड़ता है।
इस कारण पलसा, बलवाडांगी, डाकूपाड़ा, बैधनाथ पलसा, तालटोला, पिलटोला, मंदिरटोला गांवों की विकास की नईया डूबी हुई है। इन गांवों की एक बड़ी आबादी आज भी चचरी पुल के सहारे एवं पगडंडी कच्ची रास्तों पर चल रही हैं। प्रखंड मुख्यालय से करीब 20 किमी पश्चिमी क्षेत्र कनकई नदी पार भारत नेपाल सीमा पर स्थित ये गांव जहां पहुंचने के लिए एक भी पक्की सड़क नहीं है।
लोग आज भी पगडंडी गड्ढ़े भरे कच्ची सड़कों पर चलने को मजबूर हैं। स्थानीय लोगों की माने तो जनप्रतिनिधि केवल चुनाव के समय बड़े-बड़े वादे का भरोसा दिलाकर भोली-भाली जनता से वोट बटोरकर ले जाते हैं। वहीं चुनाव बाद जनप्रतिनिधियों द्वारा इन इलाकों का दौरा भी दुर्लभ हो जाता है।
स्थानीय निवासी सिघीमारी पंचायत के ग्रामीण मदन मोहन सिंह, राज नारायण सिंह, भीम नारायण सिंह, गुरुदेव लाल सिंह डेरा लाल सिंह ने को बताया कि मेरी पूरी जिदगी नावों चचरी पुलों के सहारे खत्म हो गई। गांवों की इस हालत से जनप्रतिनिधियों जिला प्रशासन को अवगत कराने के लिए कई बार ग्रामीणों के साथ सामूहिक आवेदन दिया पर इस दिशा में अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
अब तो ये डर सताने लगी है कि कुछ महीनों में अगर इस ओर पुल नहीं बनाने का कार्य शुरू किया गया तो आने वाले बरसात में लोगों को फिर नदी में तैरकर ही अपने गंतव्य को जाना पड़ेगा। लोग बीमार को खटिया पर ले कर नदी पार करते हैं। कनकई नदी पार चार हजार की आबादी में सरकारी संस्थाओं में चार प्राथमिक विद्यालय डाकूपाड़ा, तालटोली पलसा एवं बलवाडांगी तथा एक मध्य विद्यालय पलसा में हैं।
वहीं दो आंगनबाड़ी केंद्र भी सुचारू हैं। परंतु विद्यालय में शिक्षकों को भी आने-जाने में काफी परेशानी होती है, पर सरकारी सेवक होने के नाते तो शिक्षकों को आना ही पड़ता है। गौरतलब है कि इन क्षेत्रों से होकर गुजरने वाली कनकई नदी ही इस क्षेत्र के विकास में सबसे बड़ा बाधक बन गया है।
जो भी सड़कें पुल पुलिया, बांध बनते हैं उसे नदी का पानी अपने साथ बहा ले जाती है। ऐसे में यहां के निवासी अपने आप को गुमनामी की जिदगी जीने को लाचार और बेबसी की जिदगी जीने को मजबूर है।