पटना. पटना उच्च न्यायालय ने शनिवार को दो लोगों को बरी कर दिया जिन्हें बिहार के भोजपुर जिले में 2018 में एक नाबालिग लड़की के अपहरण, सामूहिक बलात्कार और हत्या के लिए निचली अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी. न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार सिंह और न्यायमूर्ति अरविंद श्रीवास्तव की खंडपीठ ने भोजपुर जिला के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सह विशेष न्यायाधीश बच्चों का यौन शोषण से संरक्षण संबंधी कानून पोक्सो के तहत 2019 में मौत की सजा दिए जाने को खारिज कर दिया. पीठ का विचार था कि अभियोजन पक्ष ‘‘अपने मामले को साबित करने में विफल रहा.’’
घटना जनवरी 2018 में बरहड़ा थाने के एक गांव में हुई जब 16 वर्षीय लड़की अपने घर से लापता हो गई और कुछ दिनों बाद उसका शव नजदीक के खेतों से बरामद हुआ. उसके पिता ने थाने में शिकायत दर्ज कराते हुए दो लोगों को आरोपी बनाया था. उच्च न्यायालय ने प्राथमिकी दर्ज करने में विलंब होने और जांच को ‘‘लापरवाही’’से करने पर भी नाखुशी जताई और कहा कि जांच अधिकारी ‘‘उस स्थान की जांच करने में भी विफल रहे जहां पीड़िता से कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार हुआ और उसकी हत्या की गई.’’
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अंकित के नाम से जाना जाता है
वहीं, बीते मार्च महीने में खबर सामने आई थी कि बिहार की राजधानी पटना में आठ वर्ष पूर्व नाबालिग के साथ हुए दुष्कर्म के मामले में पॉक्सो कोर्ट ने आरोपी को दोषी करार दिया था. पॉक्सो कोर्ट के विशेष न्यायाधीश अवधेश कुमार ने दोषी राहुल की सजा के बिंदु पर सुनवाई के लिए 25 मार्च को तिथि निर्धारित की थी. बता दें कि रांची के चर्चित निर्भया कांड में दोषी राहुल को सीबीआई कोर्ट ने पहले ही सजा-ए-मौत की सर्जा मुकर्रर कर चुकी है. दोषी राहुल कुमार उर्फ राहुल राज उर्फ राज श्रीवास्ताव उर्फ रॉकी राज उर्फ आर्यन उर्फ अंकित के नाम से जाना जाता है।
Source-news 18