खगड़िया :- एक ओर जेनेरिक दवा को लेकर सरकार सजग, सचेत है, तो दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग इस ओर से लापरवाह है। सूत्रों की माने तो कमीशन के खेल में जेनेरिक दवा की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। एक बड़ी लाबी इसमें जिला मुख्यालय से लेकर प्रखंड मुख्यालय तक सक्रिय है।यह हैरत की बात है कि परबत्ता सीएचसी स्थित जेनेरिक दवा की दुकान पांच वर्षों से बंद है।
2010 में यहां जेनेरिक दवा की दुकान खुली और 2017-18 के आसपास बंद हो गई। इस बीच कितने सीएचसी प्रभारी आए और गए। कोरोना की पहली, दूसरी और तीसरी लहर भी गुजर गई, परंतु जेनेरिक दवा की दुकान नहीं खुली। पांच साल से इसमें ताला लटका हुआ है।जानकारी अनुसार परबत्ता सीएचसी परिसर में वैष्णो इंटरप्राइजेज जेनेरिक दवा की दुकान संचालित हो रही थी। जो आज की तारीख में बंद है।
जेनेरिक दवा की दुकान से लोगों को आधी कीमत पर दवाई मिलती थी। खासकर गरीब-गुरबा मरीजों के लिए यह दुकान संजीवनी से कम नहीं थी। इसमें 160 प्रकार की दवा उपलब्ध रहती थी। इस संबंध में परबत्ता सीएचसी प्रभारी डा. राजीव रंजन ने कहा कि यहां की जेनेरिक दवा की दुकान बहुत पहले से बंद है। इस बाबत उच्च अधिकारी को लिखा गया है।
जेनेरिक दवा को लेकर फैलाई जाती है भ्रांति :- इधर सूत्रों के अनुसार जेनेरिक दवा को लेकर आम चिकित्सकों की रुचि नहीं है। सूत्रों की माने तो कमीशन के खेल में डाक्टर इस ओर ध्यान नहीं देते हैं। कमीशन का यह धंधा कई-कई रूपों में प्रचलित है। सूत्रों की माने तो जेनेरिक दवा को लेकर चिकित्सकों की एक लाबी भ्रांति भी फैला रही है। यह भ्रांति इस रूप में है कि यह दवा सस्ती है, असर कम करेगा।
पूर्व की व्यवस्था के बारे में कुछ नहीं कह सकता। जहां दुकान बंद है, उसका पता लगाएंगे, कि, किस कारण से यह बंद है। इसके बाद आगे की कार्यवाही की जाएगी। सदर अस्पताल में जेनेरिक दवा की दुकान खोलने को लेकर आवेदन मिला है। जिसको लेकर विचार-विमर्श किया जा रहा है। जेनेरिक दवा के बारे में कोई किसी भी प्रकार की भ्रांति न पाले। यह सस्ती है और एकदम से इफैक्टिव है। -डा. अमरनाथ झा, सिविल सर्जन, खगड़िया।