BJP के सख़्त तेवर से घबराये नीतीश? विधायकों की आपात बैठक बुला कर लिया ये फैसला

लालू फ़ैमिली के ठिकानों पर सीबीआई की रेड के बाद क्या नीतीश कुमार घबरा गये हैं। सीबीआई के छापे के बाद नीतीश से एक्शन से ऐसा ही लग रहा है। नीतीश कुमार ने आज आनन फ़ानन में अपनी पार्टी के मंत्रियों और विधायकों की आपात बैठक बुलायी और उसमें जो किया उससे जेडीयू की बेचैनी और घबराहट दोनों साफ़ हो गयी।

नीतीश की बैठक में क्या हुआ?

दरअसल नीतीश कुमार ने आज दिन में अचानक पार्टी के मंत्रियों और प्रमुख नेताओं की बैठक बुलाने का फ़ैसला लिया था. ये फैसला लालू यादव के ठिकानों पर सीबीआई के छापे की खबर फैलने के बाद लिया गया था. जेडीयू की ओर से कहा गया कि राज्यसभा चुनाव में पार्टी का प्रत्याशी चुनने के लिए बैठक बुलायी गयी है. लेकिन जेडीयू के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ था कि कोई बैठक कर पार्टी का प्रत्याशी चुना जाये. लिहाज़ा सियासी जानकार पहले ही समझ रहे थे कि बैठक का एजेंडा कुछ और है. बैठक शाम साढ़े चार बजे से होनी थी लेकिन उससे पहले सीएम आवास में व्याकुलता और बढ़ी.

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अचानक से ये तय किया कि इस बैठक में उन विधायकों को भी बुलाया जाये जो पटना में या आसपास हैं. लिहाज़ा जेडीयू के सारे विधायकों को सीएम आवास से फ़ोन करने का सिलसिला शुरू कर दिया गया. मंत्रियों के अलावा पार्टी के तक़रीबन एक दर्जन विधायक पटना में थे. उन लबों को इस बैठक में आने को कहा गया।

नीतीश ने विधायकों से क्या कहा?

सबसे बड़ा सवाल आपके ज़ेहन में उठ रहा होगा कि आख़िरकार नीतीश की बैठक में हुआ क्या? जेडीयू सूत्रों के मुताबिक़ नीतीश ने अपने विधायकों से कहा कि बदलते सियासी परिस्थितियों में उन्हें कुछ भी फ़ैसला लेना पड़ सकता है. वहाँ मौजूद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने मंत्रियों-विधायकों से पूछा कि क्या नीतीश कुमार कोई फ़ैसला लेते हैं तो पार्टी के नेता उनका समर्थन करेंगे? वहाँ मौजूद सारे मंत्रियों और विधायकों ने सारे फैसलों के लिए नीतीश कुमार को अधिकृत कर दिया. पार्टी के विधायकों को इससे ज़्यादा और कोई जानकारी नहीं दी गयी. हाँ, ललन सिंह ने इशारों में बीजेपी के साथ सरकार चलाने में हो रही परेशानियों का ज़िक्र ज़रूर किया।

वैसे बैठक में मौजूद सारे नेताओं को सख़्ती से ये हिदायत दी गयी कि अंदर हुई बातों की जानकारी बाहर किसी और को न दें. लिहाज़ा बैठक से बाहर निकलते ही मीडियाकर्मियों के सामने आने वाले नेता चुप्पी साध कर ही निकल गये. कुछ नेता इशारों में संकेत दे गये कि अंदर क्या हुआ. मंत्री जमा खान ने कहा कि पार्टी के सारे फैसले के लिए नीतीश कुमार को अधिकृत किया गया है. वहीं जेडीयू विधायक निरंजन मेहता ने भी ऐसी ही बातें कहीं. निरंजन मेहता ने कहा कि जेडीयू के सर्वमान्य नेता नीतीश कुमार हैं और उन्हें ही सारे फ़ैसले लेने के लिए अधिकृत किया गया है।

क्या करेंगे नीतीश

अब सवाल ये उठता है कि पार्टी से सारे फैसले लेने का अधिकार हासिल करने की रस्म अदायगी के बाद नीतीश कुमार क्या करेंगे. लालू यादव के ठिकानों पर पड़े रेड के बाद राजद के दो प्रमुख नेताओं ने जो बयान दिया उससे साफ़ लगा कि जेडीयू राजद में गठबंधन फ़ाइनल है. इसके कारण ही छापेमारी हुई. तो क्या वाक़ई नीतीश उसी राह पर आगे बढ़ेंगे यानि एक बार फिर पलटी मारेंगे. या फिर बीजेपी ने जो तेवर दिखाए हैं उससे उनके कदम थम जायेंगे. बीजेपी के नेता ऑफ द रिकॉर्ड ये कहते रहें हैं कि नीतीश कुमार के ख़िलाफ़ भी मसाला है. क्या ये वाक़ई सच है और नीतीश इससे डर रहे हैं.

हालाँकि जेडीयू के ही कुछ नेता एक और संभावना पर ज़ोर दे रहे हैं. उनका कहना है कि नीतीश कुमार आरसीपी सिंह का पत्ता साफ़ करना चाहते हैं. आरसीपी सिंह जेडीयू कोटे से केंद्र सरकार में मंत्री हैं. उनकी राज्यसभा की सदस्यता ख़त्म हो रही है. अभी ही चुनाव होने हैं. आरसीपी सिंह तीन दशक से ज़्यादा समय तक नीतीश कुमार के साथ साये की तरह रहे हैं. RCP सिंह फ़िलहाल बीजेपी के कट्टर समर्थक हैं. नीतीश को इस बात का भी डर है कि अगर आरसीपी सिंह का पत्ता साफ़ किया गया तो वे बीजेपी के साथ मिलकर दूसरा खेल कर सकते हैं. ऐसे में नीतीश कुमार पार्टी को पहले ही दुरुस्त कर लेना चाह रहे हैं।

नीतीश की बेचैनी का कारण जो भी हो, इतना तो स्पष्ट है कि बिहार की सियासत में बहुत कुछ होना है. बाहर से जो शांति दिख रही है या दिखायी जा रही है उसके पीछे बड़ा तूफ़ान आने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।