मुजफ्फरपुर। तबाही की कहानी सुनाओ साहब, इस साल की बाढ़ को तबाह कर दो। दो फीट पानी घर में घुसा, फिर बच्चों और मवेशियों को लेकर सड़क पर चल दिया। लेकिन, यहां भी परेशानी जस की तस बनी हुई है. कीड़ा और मकड़ी पूरे बिस्तर में घुस गए और उसे रुई से ढक दिया गया। एक बच्चे का सांप-बिच्छू और घोड़ा-गाड़ी पिचाई के लिए खतरा बन गया। यह कहना है बाढ़ से विस्थापित रामदेव पासवान का, जो बाकूची पीडब्ल्यूडी रोड पर शरण ले रहे हैं। एक सप्ताह तक मवेशी व पूरे परिवार के साथ सड़क पर रहा।
कटरा में बाढ़ के कहर से करीब 18 पंचायतें प्रभावित हुई हैं। जलस्तर घटने के बाद भी पांच पंचायतें बाढ़ की चपेट में हैं। घर में पानी घुसने के बाद करीब दो सौ परिवार विस्थापित हो गए हैं और उन्होंने सड़कों पर शरण ली है। नवादा मेन रोड पर दो दर्जन परिवार रहते हैं। बिजली पासवान ने अपना दर्द बताते हुए बताया कि नीचे बाढ़ के पानी और ऊपर बारिश के पानी से हम सभी परेशान थे। न बिजली और न ही रोशनी को अंधेरे में रहने को मजबूर किया गया। केटेक गुहार लगी ता मुखिया जी अहंकार पन्नी देलन। सब एक ही जगह रुके रहे। हां, कोई अनुबंध नहीं हैं। घोघा-सीतुआ कुछ खाकर रह गया था।
NH527 की दरगाह में करीब दो दर्जन लोग रह रहे हैं। पन्नी लटकाकर सड़क पर ही ठिकाना बना लिया। यहां एक हफ्ते से कम्युनिटी किचन चल रहा है जहां लोग खाना खाते हैं और टेंट में सोते हैं। उन्हें कई खतरों का सामना करना पड़ता है। फुलतुन पटेल ने कहा कि सड़क पर सभी वाहन सड़क पर ही रहे, अरे रात में गिरने का खतरा था। सांप-गोल मारने के खतरे अलग हैं। कोई बीमार पड़ता है तो औषधि-वीरों को मिलेगा, इसलिए चिंता बनी रहती है। इसी तरह बगल में हटबरिया है जहां चार दर्जन परिवार विस्थापित हैं। सभी एनएच 527 पर टेंट लगाकर रहते हैं। सबका दर्द एक जैसा है।