मुजफ्फरपुर के तीन प्रखंडों में चल रहे शोध से एईएस से बचाव का निकलेगा रास्ता

मुजफ्फरपुर। हर साल गर्मी में बच्चों पर कहर बरपाने एसईएस (एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम) बीमारी का सही कारण क्या है, इसे लेकर जिले के तीन प्रखंडों मुशहरी, मीनापुर, कांटी में शोध चल रहा है। यहां के 120 घरों में तापमान जांचने के लिए मशीनें लगाने के साथ बच्चों के स्वास्थ्य, रहन-सहन और खानपान पर नजर रखी जा रही है। शोध पूरा होने के बाद बीमारी से बचाव और इलाज का रास्ता निकलेगा।

मुजफ्फरपुर और आसपास के जिलों में हर साल गर्मी में एईएस से बच्चे बीमार होते हैं। कई की मौत होती है। बीते दा़े दशक से इस बीमारी का प्रभाव है, लेकिन अब तक कारण का पता नहीं चल पाया है। आइसीएमआर (इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च) के सहयोग से एम्स जोधपुर के नवजात शिशु रोग विभागाध्यक्ष व राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के सलाहकार डा. अरुण कुमार सिंह इस पर शोध कर रहे हैं।

गर्मी का माइटोकांड्रिया पर प्रभाव पर चल रहा शोध

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मुजफ्फरपुर लीची का इलाका है, इसलिए कई लोग इस बीमारी का कारण लीची से जोड़कर देखते रहे हैं। शुरुआती शोध में डा. अरुण ने इस बात को सिरे से खारिज किया है। उन्होंने बताया कि जो बच्चे इस बीमारी की जद में आ रहे, उनका माइटोकांड्रियाप्रभावित होता है। गर्मी इसका कारण बनती है। जब गर्मी 39-40 डिग्री से ज्यादा एक सप्ताह तक रहती है तो यह बीमारी होती है। बरसात होने के साथ कम हो जाती है। वे शोध कर रहे कि गर्मी किस तरह से बच्चों के माइटोकांड्रिया को प्रभावित कर रही है। शोध के बाद वे रिपोर्ट व बचाव के सुझाव आइसीएमआर को भेजेंगे।

नीचे मकान में रहती ज्यादा गर्मी

शोध के दौरान यह बात सामने आ रही है कि जिस घर की छत नीचे है और उसमें खिड़की नहीं है या छोटी है, उसके अंदर का तापमान बाहर से चार से पांच डिग्री ज्यादा रहता है। शोध में ऐसे घर लिए गए हैं, जहां तीन से चार बच्चे रहते हैं। शोध में डा. पंकज झा, डा. नीरज कुमार और केयर इंडिया के जिला समन्वयक सौरभ तिवारी टीम के साथ लगे हैं।

शोध में इन बातों का रख रहे ख्याल

-प्रतिदिन समय-समय पर घर के अंदर व बाहर के तापमान का आंकड़ा दर्ज किया जा रहा

-शोध के लिए चिन्हित 120 घरों के 250 बच्चों के रहन-सहन, खानपान पर रखी जा रही नजर

-छह माह से चिन्हित बच्चों का लिया जा रहा ब्लड का नमूना

इन गांवों में चल रहा शोध

एईएस से प्रभावित मीनापुर प्रखंड के मीनापुर, राधवपुर, अलीनेउरा, मोहनपुर, पानापुर व मोरसंड, कांटी प्रखंड के बंगाही, सलेमपुर, मुस्तफापुर, मिठनसराय, माधोपुर, चकमुरमुर व कोठिया तथा मुशहरी प्रखंड के झपहां, जमालाबाद, कोठिया गांव शामिल हैं।

बीमारी की यह रही रफ्तार

एसकेएमसीएच के शिशु रोग विभागाध्यक्ष डा.गोपाल शंकर साहनी भी इस बीमारी को लेकर शोध कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि वर्ष 2012 के बाद से इस बीमारी के डाटा का संग्रह हो रहा है। 2005, 2014 व 2019 में इस बीमारी का प्रकोप ज्यादा रहा। इस साल 17 बच्चों की मौत एईएस से हुई है। इस बीमारी का कारण गर्मी व नमी है। तेज बुखार, चमकी और बेहोश होने के साथ मुंह से झाग आता है।