शहर में बनने लगी बहुमंजिली इमारत, लेकिन आग से निपटने के लिए जिले के अग्निशमन विभाग के पास वही पुरानी व्यवस्था है। यही वजह है कि अग्निशमन विभाग की गाडिय़ां आग बुझाने में हांफ जाती हैं। नई गाडिय़ों की खरीदी नहीं हुई। परिवहन विभाग के अनुसार एक गाड़ी की उम्र 15 साल होती है, लेकिन अग्निशमन विभाग के पास कुछ ऐसी गाडिय़ां हैं जो 20 साल पुरानी है।
जिला अग्निशमन पदाधिकारी गौतम कुमार ने बताया कि सरकार अगर हाइड्रोलिक प्लेटफार्म (मेघदूत) गाड़ी दें तो 80 फीट ऊंचाई तक की इमारत में लगी आग बुझाई जा सकती है। जिले में कुल 24 दमकल हैं, जिसमें चंदवारा मुख्य फायर स्टेशन में तीन बड़ी और एक छोटी दमकल है। इसके अलावा मोतीपुर में दो बड़ी, पताही हवाई अड्डा के समीप एक बड़ी गाड़ी तथा जिले के 16 प्रखंड थाने के समीप दमकल की ये गाडिय़ां लगी रहती हैं।
सहयोग के लिए 16 गृहरक्षक और सात फायरमैन हैं, जबकि 40 फायरमैन की जरूरत है। भगवानभरोसे ही जिले की अग्निशमन सेवा चल रही है। फायर अधिकारी संतोष कुमार पांडेय द्वारा पिछले साल ही हाइड्रोलिक प्लेटफार्म (मेघदूत) गाड़ी और हेलीकाप्टर के लिए राज्य अग्निशमन विभाग को पत्र लिखा गया था, लेकिन सरकार द्वारा अभी तक इस पर कोई इस बारे में कोई सूचना नहीं दी गई है। इस बार गर्मी में भी आग बुझाने में फायरकर्मियों को काफी परेशानी होगी।
पुरानी गाडिय़ों के साथ सुरक्षा की कमान :- शहर में लगातार वीआइपी ड्यूटी हो रही है। शहर में आयोजन भी काफी संख्या में होते हैं। बाजारों और ग्रामीण क्षेत्रों में सात फरवरी से लगातार माकड्रिल चल रही है। इसके साथ गर्मी में आग से बचने-बचाने का नुक्कड़ नाटक भी किया जा रहा। इन पुरानी गाडिय़ों के साथ सुरक्षा की कमान संभालना कर्मचारियों के लिए भी चुनौती है। कर्मचारियों का कहना है टेक्नोलाजी इतनी आगे पहुंच गई है, लेकिन शहर को इसका कोई फायदा नहीं मिल रहा है।
देश में बीएस-6 माडल, फायर विभाग को एक भी नहीं सरकार लोगों से बीएस-6 माडल की गाडिय़ां खरीदने की बात कर रही है, लेकिन स्मार्ट सिटी के वाहन पुराने ढर्रे पर चलेंगे तो लोगों से नए माडल के वाहन लेने के लिए कहना कहां तक सही होगा।