अब जिले में बच्चेदानी के कैंसर की जांच शुरू

बक्सर : मुंह एवं स्तन कैंसर के बाद अब जिले में बच्चेदानी के कैंसर की भी जांच शुरू हो गई है। शुक्रवार से सदर अस्पताल में होमी भाभा कैंसर हास्पिटल और रिसर्च केंद्र और अल्केम फाउंडेशन की मदद से संचालित कैंसर डिटेक्शन सेंटर में बच्चेदानी के कैंसर की प्रारंभिक जांच शुरू की गई। सेंटर के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डा.वरुण सांकृत ने बताया कि आने वाले दिनों में इसे प्रखंड स्तर तक विस्तारित किया जाएगा।

डा.वरुण ने बताया कि यहां पर मुख्य रूप से मुख, स्तन और बच्चेदानी के कैंसर की प्रारंभिक जांच होगी। उन्होंने बताया कि 70 प्रतिशत कैंसर इन्हीं तीन जगहों पर होता है, लेकिन अगर हमलोग शुरू में ही इसकी जांच करवा लें तो 70 प्रतिशत कैंसर के मामले कम हो सकते हैं।

उन्होंने बताया कि पहले यहां पर मुख और स्तन कैंसर की ही जांच होती थी पर अब बच्चेदानी के मुख की भी जांच शुरू हो चुकी है। आगे चलकर इसे प्रखंड स्तर पर विस्तारित किया जाएगा।

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इसके लिए स्वास्थ्य केंद्र के कर्मियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। ताकि वे वहां आने वाले मरीजों की जांच कर सकें। डा.वरुण ने बताया कि कैंसर की जानकारी और जागरुकता की कमी के कारण हर साल करीब 63000 मौत बच्चेदानी के कैंसर के चलते होती है।

उन्होंने बताया कि 25 साल से 65 साल की सभी महिलाओं को 3 साल में एक बार अपने बच्चेदानी की जांच जरूर करानी चाहिए। मौके पर जीएनएम रेणु यादव. संध्या कुमारी, सोनू सिंह आदि मौजूद थे। शुरू में बच्चेदानी के कैंसर में नहीं आते लक्षण

गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर (सर्वाइकल कैंसर) तब होता है, जब कोशिकाएं गर्भाशय ग्रीवा (प्रवेश द्वार) के अस्तर में असामान्य रूप से विकसित होती हैं, जो निचले गर्भाशय की गर्दन या संकीर्ण हिस्सा होता है। कम उम्र में कई यौन संबंध होने या यौन सक्रिय होने से गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के विकास की संभावना बढ़ जाती है। उन्होंने बताया कि कैंसर के लक्षण जल्दी सामने आने पर जीवित रहने की संभावना ज्यादा होती है।

क्या हैं लक्षण

सामान्य ग्रीवा के कैंसर के लक्षणों में पैल्विक दर्द, योनि से बदबूदार निर्वहन, पीरियड से पहले और बाद में रक्तस्त्राव और यौन गतिविधि के दौरान असुविधा का अनुभव होना होता है।