CORONA को लेकर गंभीर नहीं नीतीश सरकार..? हाईकोर्ट ने दे दी बड़ी चेतावनी..!

कोरोना मामले की सुनवाई के दौरान पटना हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है कि अब राज्य सरकार कोरोना को लेकर गंभीर नहीं है. कोर्ट ने कहा कि कोरोना से बचाव के लिए मास्क पहनना और सामाजिक दूरी बनाए रखना मुख्य बात है, लेकिन राज्य में इसका पालन नहीं हो रहा है. कोर्ट ने राज्य सरकार को इसका सख्ती से पालन करने का आदेश दिया. वहीं स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव को वैक्सीन के बारे में पूरी जानकारी देने का आदेश दिया गया.

कोर्ट ने कहा कि राज्य के लोगों के टीकाकरण के लिए वैक्सीन की स्थिति के बारे में कुछ नहीं बताया गया है. कोर्ट ने सरकार से जानना चाहा कि अभी राज्य में वैक्सीन की कितनी डोज उपलब्ध हैं। कितनी अधिक खुराक की जरूरत है इसकी जानकारी दें, ताकि केंद्र सरकार को वैक्सीन देने का निर्देश दिया जा सके।

तीसरी लहर से निपटने की तैयारी

Whatsapp Group Join
Telegram channel Join

साथ ही कोर्ट ने संभावित थर्ड वेव को लेकर सरकार की ओर से पुख्ता जानकारी नहीं होने पर भी सवाल उठाए. कोर्ट ने कहा कि तीसरी लहर से लड़ने के लिए अभी से तैयारी करनी होगी. कोर्ट ने कहा कि जिलावार अस्पतालों में कोरोना और गैर कोरोना मरीजों के इलाज के लिए क्या तैयारी की जा रही है, इसकी जानकारी राज्य सरकार को देनी चाहिए, कितने ऑक्सीजन युक्त बेड हैं. वहीं, बिहटा के ईएसआई अस्पताल को भी संभावित तीसरी लहर से निपटने के लिए की जा रही तैयारियों का पूरा ब्योरा देने का आदेश दिया गया. कोर्ट ने यह भी जवाब देने का आदेश दिया है कि करोना महामारी की संभावित तीसरी लहर को नियंत्रित करने के लिए क्या कार्रवाई की जा रही है.

मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायमूर्ति एस कुमार की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की. राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि राज्य में 71 फीसदी लोगों का टीकाकरण किया जा चुका है. इस पर कोर्ट ने जानना चाहा कि कितने लोगों को पहली खुराक दी गई है और कितने लोगों को दोनों खुराक दी गई है. कोर्ट ने राज्य सरकार से अगली सुनवाई में पूरा ब्योरा देने को कहा। कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा कोरोना पर दिए गए हलफनामे पर असंतोष जताया. टीकाकरण से लेकर संक्रमितों की संख्या का सटीक ब्योरा देने तक। सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि अभी राज्य में कोरोना जांच कम हो रही है, ऐसे में पॉजिटिव मरीजों की वास्तविक संख्या बताना संभव नहीं है. कोर्ट ने इस मामले में 30 जुलाई को सुनवाई का आदेश दिया है.