बिहार के शहरी निकायों में इसी वर्ष होने वाले मेयर और डिप्टी मेयर के साथ मुख्य पार्षद और उप मुख्य पार्षद के चुनाव सीधे जनता के वोट से होंगे। प्रदेश सरकार ने बिहार नगरपालिका अधिनियम 2007 में संशोधन के प्रारूप को मंजूरी दी दी है। मंगलवार को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में प्रत्यक्ष चुनाव के विधेयक प्रारूप को मंजूरी दी गई है।
दोनों सदनों में अब इस विधेयक को पेश किया जाएगा। सदन से पारित होने के बाद इसे नगरपालिका संशोधन विधेयक, 2022 कहा जाएगा। बिहार नगरपालिका कानून में 15 वर्षों बाद संशोधन हुआ है। इस प्रभाव राज्य के 19 नगर निगमों के साथ 263 नगर निकायों पर पड़ेगा।
इस साल अप्रैल-मई में शहरी निकायों में चुनाव संभावित हैं। अभी तक नगर निगम में मेयर व डिप्टी मेयर, जबकि नगर परिषद और नगर पंचायतों में मुख्य पार्षद और उप मुख्य पार्षद का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से होता था। जनता के प्रत्यक्ष वोट से चुने जाने वाले मेयर-डिप्टी मेयर गोपनीयता की शपथ लेंगे और कार्यभार ग्रहण करेंगे।
अगर किसी मेयर-डिप्टी मेयर या मुख्य पार्षद-उप मुख्य पार्षद की कार्य के दौरान मृत्यु होती है या वे इस्तीफा देते हैं या उन्हें बर्खास्त किए जाने से पद रिक्त होता है तो ऐसी स्थिति में फिर से चुनाव कराया जाएगा। इसके बाद निर्वाचित मेयर और डिप्टी मेयर बचे हुए कार्यकाल तक ही पद धारण करेंगे।
सरकार को सौपेंगे इस्तीफा, सात दिनों में होगा प्रभावी :- नए संशोधन के अनुसार मेयर और डिप्टी मेयर, राज्य सरकार को संबोधित करते हुए स्वलिखित आवेदन देकर त्यागपत्र दे सकते हैं। ऐसा त्यागपत्र वापस न लिए जाने पर सात दिनों के बाद प्रभावी हो जाएगा।
लोकप्रहरी की अनुशंसा पर हटाए जा सकेंगे :- संशोधित प्रारूप में व्यवस्था की गई है कि सरकार को धारा 44 के अधीन लोकप्रहरी की नियुक्ति करनी होगी। लोकप्रहरी की अनुशंसा के आधार पर ही सरकार मेयर-डिप्टी मेयर या मुख्य पार्षद व उप मुख्य पार्षद को हटा सकेगी।
उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश वे कई राज्यों में पहले से व्यवस्था :- वर्तमान में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड और झारखंड में भी मेयर-डिप्टी मेयर का चुनाव प्रत्यक्ष रूप से होता है। दक्षिण भारत के भी कुछ राज्यों की जनता सीधे महापौर और उप महापौर चुनती है।