मुजफ्फरपुर। थाने में प्राथमिकी दर्ज नहीं होने की शिकायतें आ रही हैं। आमतौर पर इन शिकायतों को नजरअंदाज कर दिया जाता है। अब जिले में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने प्राथमिकी दर्ज करने में थाना स्तर की मनमानी को उजागर कर दिया है। डीएम प्रणव कुमार के आदेश पर मुशहरी अंचल अधिकारी सुधांशु शेखर ने जिले के स्वास्थ्य विभाग में कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए जनशक्ति की बहाली में गड़बड़ी पर नगर थाने में प्राथमिकी दर्ज करने के लिए आवेदन किया। इस आवेदन पर प्राथमिकी दर्ज न करने पर नगर थाना पुलिस ने सीओ को वापस कर दिया। आवेदन वापस लेने की सूचना मुशहरी अंचलाधिकारी द्वारा डीएम को भेज दी गई है।
डाटा एंट्री ऑपरेटर पर एफआईआर के लिए दिया था आवेदन
डीएम द्वारा 16 जून को पारित आदेश के आलोक में मुशहरी सीओ ने प्राथमिकी दर्ज करने के लिए आवेदन किया था। इसमें कहा गया है कि स्वास्थ्य विभाग में जनशक्ति की बहाली में गड़बड़ी की जांच डीडीसी के नेतृत्व वाली टीम ने की थी। संयुक्त जांच रिपोर्ट में डाटा एंट्री ऑपरेटर धर्मेंद्र कुमार ने स्वीकार किया है कि उम्मीदवार से 30 हजार रुपये लिए गए हैं. इसे देखते हुए धर्मेंद्र कुमार के खिलाफ संबंधित धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की जाए।
थाने ने कहा, आवेदन में जरूरी तथ्य नहीं है
एक तरफ सरकार की कोशिश है कि अगर कोई पीड़ित एफआइआर अर्जी नहीं लिख पा रहा है तो पुलिस उसकी मदद करे, लेकिन इस मामले में थाना स्तर से लेकर सरकार के प्रयासों को झटका लगा है। सिटी एसएचओ ओम प्रकाश ने प्राथमिकी के आवेदन को यह कहते हुए वापस ले लिया कि इसमें आवश्यक तथ्य नहीं हैं। उदाहरण के लिए, कब, कहाँ, कैसे, क्यों, कौन शामिल नहीं है। इस कारण प्राथमिकी दर्ज नहीं की जा रही है। उन्होंने कहा कि प्राथमिकी दर्ज करने के लिए घटना के समय और उसकी तिथि, स्थान और कारण आदि का संक्षेप में उल्लेख करना आवश्यक है। इसे देखते हुए मामले में कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की जा रही है।