पटना में मानव श्रृंखला के लिए महागठबंधन ने नहीं ली जिला प्रशासन से अनुमति

केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के समर्थन में महागठबंधन ने शनिवार को राज्य भर में मानव श्रृंखला का आयोजन किया। इस बीच, राजधानी पटना के डीएम चंद्रशेखर सिंह ने कहा है कि रविवार की रात तक, हमें इस संबंध में कोई आवेदन नहीं मिला है। इसलिए अनुमति देने का कोई सवाल ही नहीं है। आवेदन प्राप्त करने के बाद ही इस पर कुछ निर्णय लिया जा सकता है।

  दूसरी ओर, राजद सांसद मनोज झा ने मानव श्रृंखला की तुलना जेपी आंदोलन से की और कहा कि उस समय आंदोलन के लिए क्या अनुमति मांगी गई थी। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा मुद्दा है जिस पर किसी अनुमति की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार को चेतावनी देने की जरूरत है। बिहार के किसानों को मजदूर बना दिया गया है। बिहार सरकार को राज्य के लोगों ने खारिज कर दिया है।

  वहीं, विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया है कि कृषि कानूनों के जरिए किसानों की जमीन पूंजीपतियों को सौंपने की तत्परता है। कहा जाता था कि बचपन से ही जय जवान-जय किसान का नारा सुना था, लेकिन भाजपा सरकार जवानों और किसान के बीच लड़ाई के लिए लड़ रही है। महागठबंधन शुरू से ही किसानों के संघर्ष में खड़ा है।

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  देश में तानाशाही थोपने की कोशिश: माले

  माले महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने आरोप लगाया कि देश में तानाशाही थोपने की कोशिश की जा रही है। बिहार सरकार को इसके उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। कृषि कानून संघीय ढांचे पर हमला है। संसद को इन विषयों पर कानू बनाने का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि देश में कई बड़े आंदोलन हुए। इसके कारण सरकारें भी बदल गईं। लेकिन, 2014 के बाद जो भी आंदोलन हुए, उनके शुरू होते ही उन्हें बदनाम करने की साजिश है। किसान आंदोलन के साथ ऐसा नहीं होगा। साजिश का मुकाबला किया जाएगा। यूपी में भी हुआ।