भैरवस्थान थाना क्षेत्र की युवती के अपहरण के मामले में पुलिस द्वारा सही धारा नहीं लगाने पर झंझारपुर बिहेवियरल कोर्ट के एडीजे अविनाश कुमार ने कड़ा रुख अख्तियार किया है. कोर्ट ने एसपी, डीएसपी, थाना प्रमुख के अलावा व्यवहार न्यायालय के एक न्यायिक अधिकारी पर भी सवाल उठाए हैं. मधुबनी एसपी डॉ सत्य प्रकाश के खिलाफ कोर्ट ने गृह मंत्रालय, राज्य और केंद्र सरकार के डीजीपी को पत्र लिखा है. अदालत ने अपने पत्र में कहा है कि मधुबनी एसपी को कानून और संबंधित धारा की ठीक से जानकारी नहीं है. उन्हें IPS ट्रेनिंग सेंटर, हैदराबाद में प्रशिक्षण के लिए भेजा जाना चाहिए।
कोर्ट ने डीजीपी को पत्र संख्या 363, केंद्र सरकार को पत्र संख्या 361, राज्य सरकार को पत्र संख्या 362 के तहत 14 जुलाई 2021 को एक साथ पत्र जारी किया है. सभी पत्रों को ई-कोर्ट पोर्टल पर भी देखा जा सकता है। एडीजे कोर्ट ने भैरवस्थान थाने में दर्ज प्राथमिकी में धारा 376, पोस्को और बाल विवाह अधिनियम 2006 लागू नहीं करने पर पुलिस की कानूनी जानकारी पर सवाल उठाया है.
क्या बात है:
भैरवस्थान थाना क्षेत्र की एक महिला ने बेटी के अपहरण की प्राथमिकी दर्ज करायी है. इसमें बलवीर सदाय, उसके पिता छोटू सदाय और उसकी मां को आरोपीआरोपित किया गया था। इस मामले का मुख्य बलवीर सदा 25 फरवरी 2021 से जेल में है। पुलिस ने धारा 363, 366ए और 34 के तहत मामला दर्ज किया था। इस मामले में एसपी की रिपोर्ट-2 आ गई है। कोर्ट के मुताबिक इसमें पॉक्सो, रेप और चाइल्ड मैरिज एक्ट की धारा अनिवार्य रूप से लगाई जाए। कोर्ट में लड़की की उम्र 19 साल बताई गई, जिस पर तुरंत एसीजेएम कोर्ट ने विचार किया, लेकिन आरोपी को जमानत नहीं दी गई. बाद में मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट में लड़की की उम्र सिर्फ 15 साल बताई गई। फिलहाल बच्ची गर्भवती है। कोर्ट में सुलह हो चुकी है, जिसके मुताबिक उसने उस लड़के से शादी कर ली है। कोर्ट ने भी इस याचिका को सुलह के लायक नहीं माना है। कोर्ट का मानना है कि नाबालिग के अपहरण और बलात्कार के बाद सुलह करना नैसर्गिक न्याय के विपरीत है। पूरे मामले में कोर्ट के सख्त रुख को देखकर पुलिस के आला अधिकारियों से लेकर न्यायिक अधिकारियों के बीच हड़कंप मच गया है।