बिहार में शराब बंदी को लेकर मामला फिर चर्चा में आ गया है। आबकारी एसपी के वायरल पत्र का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि मुजफ्फर में शराब बेचने के आरोप में पुलिस ने जेल प्रशासन को कटघरे में खड़ा कर दिया है। दरअसल, कांति पुलिस ने कुख्यात अपराधी को जेल से शराब का सिंडिकेट चलाने के लिए एफआईआर दर्ज की है।
दर्ज एफआईआर में कहा गया है कि ये अपराधी बाहर के माफियाओं से मोबाइल पर बात करते थे। जेल अधीक्षक ने कहा है कि इसके लिए कांटी पुलिस को सबूत देना होगा। आईजी और एसएसपी ने पूरे मामले का संज्ञान लिया है। दोनों अधिकारियों ने कहा है कि जांच बेहद संवेदनशील है।
कांटी थाने की पुलिस ने जेल में एक मोबाइल शराब सिंडिकेट चलाने का दावा किया है। कांटी के पुलिस अधिकारी कुंदन कुमार ने भी पूरे मामले में प्राथमिकी दर्ज की है। इसके साथ ही सेंट्रल जेल में बंद कुख्यात शराब माफिया कठैया थाने के असवारी बंजरिया के उमेश राय और अन्य पर भी आरोप लगाए गए हैं। जिला प्रशासन और जेल के दावों पर सवाल उठने लगे हैं।
गौरतलब है कि कुख्यात जेलों से जबरन वसूली और धमकाने का मामला भी सुर्खियों में रहा है। मामले नगर, सदर और ब्रह्मपुरा पुलिस थानों में भी दर्ज हैं। इन एफआईआर के कारण जेल की सुरक्षा व्यवस्था एक बार फिर कटघरे में है। जिला प्रशासन द्वारा की गई छापेमारी के बाद जारी रिपोर्ट में मोबाइल या अन्य प्रतिबंधित सामग्री नहीं मिलने की बात सामने आई है। प्राथमिकी ने जिला प्रशासन के दावों को भी उजागर किया है।
जेल से फोन करके अपने गुर्गों को दी गई जानकारी:
कांति थानेदार ने अपने बयान में दावा किया कि उमेश राय ने कांति थाना क्षेत्र के बकतपुर के रहने वाले ढंडेबाज़ कमलेश ठाकुर से फोन पर बातचीत की। उसे आत्मा की खेप के बारे में सूचित किया। इस दौरान उमेश ने कमलेश को बताया कि बखतपुर के दिनेश्वर राय, राकेश कुमार और कथैया थाना क्षेत्र के असवारी बंजरिया निवासी पप्पू राय को शराब बनाने के लिए गिट्टी भरे ट्रक में छिपाकर रखी गई स्प्रिट मिली। उसे ठिकाने लगाकर माल ढोना पड़ता है। इस एफआईआर के बाद से ही कारा प्रशासन टालमटोल कर रहा है।
पूरे मामले पर जेल अधीक्षक राजीव कुमार सिंह ने कहा कि कांटी पुलिस की एफआईआर की सच्चाई की जांच की जाएगी। उनसे साक्ष्य मांगा जाएगा। अगर एफआईआर सही है, तो बंदी और अधिकारी दोनों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
2019 के बाद से, पुलिस थाने में 40 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं:
जेल से बरामद मोबाइल और अन्य सामान को लेकर प्राथमिकी की जांच भी जारी है। इस कारण आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं की जा रही है। पुलिस जांच के नाम पर जांच करने में भी व्यस्त है। 2019 से, मिठनपुरा पुलिस स्टेशन में विभिन्न प्रकार के निरोध अधिनियम के लगभग 40 मामले दर्ज किए गए हैं, जिनकी जांच सिफर है। वहीं, एसएसपी जयंतकांत ने कहा कि मामले की जांच की जा रही है।