मखाना का हब बनेगा कोसी व मिथिलांचल

सत्तरकटैया (सहरसा) : कोसी व मिथिला में एक कहावत है पान, माछ व मखान स्वर्ग में भी नहीं मिलता है। जिस कारण इस इलाके के लोग पहले से ही मखाना की खेती करते हैं। यहां का मखाना इतना स्वादिष्ट रहता है कि विदेशों मखाना जाता है। अब सरकार भी कोसी व मिथिलांचल को मखाना उत्पादन का हब बनाने की कार्रवाई शुरू कर दी है। खेती के साथ दिशा में जुट गई है।

नौ जिलों में शुरू हुई मखाना की खेती : –

बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर भागलपुर के अधीन 22 जिलों में नौ जिलों को चिह्नित कर विज्ञानियों के निगरानी में मखाना खेती शुरू कराया गया है।

Whatsapp Group Join
Telegram channel Join

बिहार कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित प्रभेद सबौर मखाना-1 का चयनित नौ विभिन्न जिले सहरसा , सुपौल, मधेपुरा, किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार, दरभंगा, खगड़िया एवं अररिया में प्रत्यक्षण किया जा रहा है। बेकार पड़े तालाबों, जलजमाव वाले क्षेत्रों में मखाना खेती की जाएगी। आनेवाले दिनों में मखाना किसानों का एफपीओ (किसान उत्पादक समूह) बनाया जाएगा। उन्हें प्रशिक्षण देकर इसका प्रसंस्करण, मार्केटिग, पैकेजिग व ब्रांडिग भी की जाएगी।

सहरसा जिले के दो प्रखंड का हुआ चयन

कृषि विज्ञान केंद्र अगवानपुर के तत्वावधान में उद्यान निदेशालय, कृषि विभाग बिहार सरकार द्वारा प्रायोजित

वित्त पोषित मखाना विकास योजना के तहत सहरसा जिला के दो प्रखंड महिषी एवं नवहट्टा का चयन किया गया है। कृषि विज्ञान केंद्र अगवानपुर द्वारा फिलहाल 25-25 हेक्टेयर में मखाना की खेती शूरू करवाया गया है। भोला पासवान शास्त्री कृषि कालेज पूर्णिया के मखाना विज्ञानी डा. अनिल कुमार ने बताया कि सरकार के मखाना विकास योजना के तहत नौ जिलों में मखाना के वैज्ञानिक तरीके से उत्पादन पर काम चल रहा है। अभी बिहार कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित प्रभेद सबौर मखाना-1 का चयनित जिलों में प्रत्यक्षण किया गया जा रहा है। ताकि राज्य में मखाना का प्रक्षेत्र बढ़ सके।

72 हजार 750 प्रति हेक्टेयर मिलेगा अनुदान

कृषि विज्ञानी डा. पंकज कुमार ने बताया कि सहरसा जिले के चिह्नित दो प्रखंड महिषी एवं नवहट्टा के 50 किसानों के बीच वित्त पोषित मखाना विकास योजना के तहत प्रति हेक्टेयर 72 हजार 750 रुपए मखाना खेती हेतु अनुदान राशि दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि मखाना का बीज 30 किलो प्रति हेक्टेयर है। मखाना बीज,गुर्री उपचार करने के लिए बीज को नर्सरी में डालने के पूर्व इमिडाक्लोप्रीड 70 अथवा थायोमेथोक्सैम 70 के पांच ग्राम मात्रा प्रति किलोग्राम बीज गुर्री की दर से उपचार करना चाहिए। एक हेक्टेयर में बीज की बोआई लगभग 500-600 वर्ग मीटर क्षेत्र में पौधशाला तैयार करने की जरूरत पड़ती है। पौधे की रोपाई का समय फरवरी- मार्च हैं उस समय नेत्रजन 75 किलो, फास्फोरस 45 किलो, पोटाश 30 किलो तथा चूना 40-50 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करना चाहिए।

सहरसा जिले के दो प्रखंड महिषी एवं नवहट्टा क्षेत्र के 50 किसानों का चयन कर 25-25 हेक्टेयर में कृषि विज्ञानी के निगरानी में मखाना खेती की जा रही है।

डा. उमेश सिंह , प्राचार्य , मंडन भारती कृषि महाविद्यालय, अगवानपुर।