जातिगत जनगणना पर जदयू के तेवर तल्ख, पूछा- मंडल आयोग की सिफारिशें लागू करने से पीछे क्यों हट रही भाजपा?

पटना. जातिगत जनगणना को लेकर बिहार में सियासत गर्म है और राजद इसे मुद्दा बनाकर सड़कों पर उतर आई है. आरजेडी के कार्यकर्ता प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं. पार्टी कार्यकर्ता इससे संबंधित ज्ञापन जिलाधिकारियों को देकर अपनी मांग पीएम नरेंद्र मोदी तक पहुंचाएंगे. जेडीयू भी इसको लेकर मांग करती रही है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस बाबत पीएम मोदी को पत्र भी लिख चुके हैं. पर राजद को इस मामले पर लीड लेते देख अब जेडीयू अधिक मुखरता के साथ सामने आ गई है और एनडीए सरकार में सहयोगी बीजेपी को भी अपने निशाने पर ले रही है।

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जनता दल यूनाइटेड प्रवक्ता निखिल मंडल (Nikhil Mandal) ने बेहद तल्ख तेवर में भाजपा से सवाल पूछा है कि BJP एक्सप्लेन करें कि जातीय जनगणना आरक्षण में बैकलॉग और मंडल कमीशन (Mandal Commission) की तमाम सिफारिशों को लागू करने से पीछे क्यों हट रही है? वर्ष 2019-2020 और सर्वदलीय बैठक में जब भाजपा भी साथ थी तो आज अलग स्टैंड क्यों ले रही है?

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राजद ने कहा- डटे रहिए नीतीश जी

इस बीच जातीय जनगणना पर आरजेडी के प्रदर्शन पर आरजेडी सांसद मनोज झा ने सीएम नीतीश से मुद्दे पर डटे रहने की अपील की है. उन्होंने कहा कि सड़क से लेकर विधानसभा तक तेजस्वी यादव ने लगातार इस मुद्दे को उठाया है. अब सरकार की नीति और नीयत दोनों की परीक्षा है. जातीय जनगणना होगी तो आंकड़े के हिसाब से नीति बना सकेंगे. मनोज झा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अपील की है कि वे अपनी बात पर डटे रहें. राजद सांसद ने कहा कि देश भर से लोग चाहते हैं कि जातिगत आधार पर आंकड़ा उपलब्ध हो. मनोज झा ने केंद्र से पूछा कि क्यों आप आंकड़े को छुपाना चाहते हैं?

नीतीश कुमार की राय, विचार व रास्ते भाजपा से अलग’

कांग्रेस सांसद अखिलेश सिंह का जातीय जनगणना पर नीतीश कुमार के पत्र पर कहा है कि जेडीयू की अलग राय थी, रास्ता अलग था, विचार अलग था. लेकिन, नीतीश जी ने मुख्यमंत्री बनने के लिए सब चीजों की तिलांजलि दे दी. अब कहां तक जाएंगे, कितनी देर तक सहेंगे, इसका उत्तर वही दे सकते हैं. बता दें कि सीएम नीतीश कुमार ने पीएम मोदी को जातीय जनगणना करवाए जाने को लेकर पीएम मोदी को पत्र लिखा है और कहा है कि वे उनके बुलावे का इंतजार कर रहे हैं. बुलावा आने पर वे बिहार के राजनीतिज्ञों का डेलिगेशन लेकर पीएम मोदी से मिलेंगे और जातीय जनगणना करवाने की मांग करेंगे.

मंडल राजनीति को नई धार देने के प्रयास में राजद

बता दें कि जातीय जनगणना इस लिए भी अहम है कि तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार पिछड़े वर्ग से आते हैं और इन दोनों की राजनीति का आधार भी पिछड़ी जातियों की राजनीति माना जाता है. सात अगस्त को राजद के प्रदर्शन के बारे में कहा जा रहा है कि केंद्र की जनता दल की सरकार ने 7 अगस्त 1990 को मंडल आयोग की सिफारिशें लागू की थीं. इसके बाद इसके तहत पूरे देश में पिछड़ों को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला हुआ था. इसे कई लोग मंडल दिवस भी कहकर पुकारते हैं और राजद इसी मंडल दिवस पर मंडल राजनीति को नई धार देने की कोशिश में हैं.

31 साल बाद फिर गर्म हुआ मंडल कमीशन की रिपोर्ट का मुद्दा

गौरतलब है कि मंडल कमीशन ने जब अपनी रिपोर्ट पेश की थी तो इसके शुरुआत में ही कहा गया था कि जातियों के आंकड़े न होने की वजह से उसे काम करने में कई समस्याओं का सामना करना पड़ा, इसलिए अगली जनगणना में जातियों के आंकड़े भी जुटाए जाएं. अब इसके 31 साल बाद बिहार में जातीय जनगणना का मुद्दा गरम है और जाति आधारित जनगणना कराने के लिए राष्ट्रीय जनता दल (RJD) पूरे बिहार में धरना-प्रदर्शन कर रहा है. आरक्षण में बैकलॉग व्यवस्था लागू करने और मंडल आयोग की अनुशंसा लागू करने जैसी विभिन्न मांग भी राजद कर रहा है.

Source-news 18