मुजफ्फरपुर का सदर अस्पताल है या म्यूजियम ऑफ फ्रॉड, बिना मंजूरी के 100 गार्ड और 37 ट्रॉली मैन बहाल

मुजफ्फरपुर। कोरोना काल में सीधी बहाली के बाद आउटसोर्सिंग एजेंसी के माध्यम से काफी मनमानी की गई। वरिष्ठ अधिकारी की अनुमति के बिना 100 गार्ड और 37 ट्रॉली मैन को एक कागज पर रख दिया गया। नवनियुक्त सिविल सर्जन डॉ. विनय कुमार शर्मा ने शनिवार को जब इसकी समीक्षा की तो मामला प्रकाश में आया। मामला सामने आने पर हड़कंप मच गया है। सीएस ने उपाधीक्षक को बहाल किए गए सुरक्षा गार्ड और ट्रॉली मैन से संबंधित सभी कागजात और जिनके आदेश से इतनी बड़ी संख्या में बहाली हुई, संबंधित कागजात देने का निर्देश दिया है। सिविल सर्जन के कड़े तेवर के बाद फर्जी तरीके से बिना किसी निर्देश व मानकों के बहाल किए गए इन सुरक्षा गार्डों और ट्रॉली कर्मियों को वापस करने को कहा। उसके बाद अब हटाने की कवायद तेज है। सीएस के इस रवैये के बाद आनन-फानन में उपाधीक्षक ने सुरक्षा एजेंसी के मालिक को रविवार को तमाम कागजातों के साथ तलब किया है। फिलहाल सिविल सर्जन ने इन कर्मियों के वेतन भुगतान पर रोक लगा दी है।

इस तरह चला मामला

सिविल सर्जन डॉ. विनय कुमार शर्मा ने बताया कि जब उन्हें सूचना मिली कि सदर अस्पताल में बड़ी संख्या में सुरक्षा गार्ड और ट्रॉलीमैन रखे गए हैं। उन्होंने तीनों शिफ्टों का रोस्टर, अधिकारी को काम पर रखने के निर्देश और पूर्व फौजी के प्रमाण पत्र सहित अन्य दस्तावेज की मांग की थी। शनिवार को उपाधीक्षक के साथ समीक्षा में पाया गया कि उपाधीक्षक ने सिविल सर्जन से 100 सुरक्षा गार्ड और 37 ट्रॉली वालों को पर्ची पर रखने की मांग की थी। इसके बाद सिविल सर्जन ने उपाधीक्षक के पत्र का हवाला देते हुए गोस्वामी सुरक्षा एजेंसी को 66 गार्ड, 9 सुपरवाइजर, 25 महिला ट्रॉली मैन और तीन ट्रॉली मैन सुपरवाइजर को बुलाया। सदर अस्पताल के विभिन्न कार्यालयों में रखने के निर्देश दिए।

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तत्कालीन सिविल सर्जन ने 26 अप्रैल को गार्ड और 27 अप्रैल को ट्रॉली मैन रखने के निर्देश जारी किए थे। इसके बाद गोस्वामी सुरक्षा एजेंसी ने 28 अप्रैल से गार्ड और ट्रॉली मैन को सदर अस्पताल में तैनात कर दिया। इसके लिए किसी भी वरिष्ठ अधिकारी या मुख्यालय को इतनी बड़ी संख्या में सुरक्षा गार्ड और ट्रॉली मैन रखने के निर्देश नहीं मिले हैं। सिविल सर्जन ने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में गार्ड और ट्रॉली मैन को बिना निर्देश के रखना अनुचित है। वे समीक्षा कर रहे हैं। अब तक जो मामला सामने आया है वह यह है कि इन लोगों को गलत तरीके से रखा गया है। उपाधीक्षक से लिखित रिपोर्ट मांगी गई है। रिपोर्ट मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।

मई के महीने के लिए भी भुगतान किया गया

इधर गोस्वामी सुरक्षा एजेंसी के मालिक गोस्वामी ने बताया कि उपाधीक्षक और तत्कालीन सिविल सर्जन के लिखित निर्देश के बाद 28 अप्रैल को उन्होंने सदर अस्पताल में 28 ट्रॉली मैन सुपरवाइजर समेत 75 सुरक्षा गार्डों को नियुक्त किया. कोरोना काल में सभी ने काम किया। मई माह का भुगतान भी कर दिया गया है। अब कोरोना संक्रमण में कमी आने के बाद एक जुलाई से सदर अस्पताल में सिर्फ 40 सुरक्षा गार्ड और 15 ट्रॉली मैन व 1 सुपरवाइजर कार्यरत हैं. यहां पहले से 22 सुरक्षा गार्ड पूर्व सेना के जवान कार्यरत हैं. उन्हें 7 माह से आवंटन नहीं किया गया है। सुरक्षा एजेंसी को मिले आदेश के आलोक में अस्पताल में सुरक्षा गार्ड व ट्रॉली मैन को ड्यूटी पर तैनात किया गया था। सरकारी बहाली नहीं हुई है, उन्होंने अपनी एजेंसी से सुरक्षा गार्ड दिया है।