सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी देने के लिए आयोग गंभीर नहीं, दोषी अधिकारी को जवाब दें

बिहार के सुपौल जिले से संबंधित एक मामले को राज्य सूचना आयोग ने दो साल और सात महीने बाद भी जानकारी नहीं देने के लिए गंभीरता से लिया है। राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त नरेंद्र कुमार सिन्हा ने इस मामले में दोषी अधिकारी को आदेश देते हुए पूछा है कि देरी के लिए मौद्रिक दंड क्यों नहीं लगाया गया। साथ ही, जानकारी तुरंत उपलब्ध कराने का आदेश दिया गया है।

निकेश कुमार झा उर्फ ​​राघव जी ने अतिक्रमण हटाने से जुड़े एक मामले में सूचना के अधिकार के तहत सुपौल के एसडीओ से जानकारी मांगी। उन्होंने 12 मार्च 2018 को जानकारी मांगी और 10 अगस्त 2018 को दूसरी अपील दायर की गई। यह आरोप लगाया गया कि उन्होंने जो जानकारी मांगी थी, उसे देकर अन्य जानकारी दी गई। इस मामले की सुनवाई पिछले महीने राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त ने की थी। आयोग का मानना ​​है कि इतनी देरी के बावजूद सूचना उपलब्ध नहीं कराना गंभीर मामला है। अगली सुनवाई 27 जनवरी को निर्धारित की गया हैं।

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