महंगाई दुनिया भर में आम आदमी का निकाल रही दम, भारत में महंगाई आधारित मंदी की आशंका

भारत के साथ दुनिया भर के उपभोक्ता महंगाई से परेशान हैं। रूस और यूक्रेन के बीच जंग की वजह से कच्चे तेल की ऊंची कीमतों ने इसे और बिगाड़ दिया है। एक तरफ महंगाई तेजी से बढ़ रही है, जिससे उपभोक्ताओं को खर्च में कटौती के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

वहीं महंगाई के मुकाबले कम वेतन वृद्धि ने संकट और बढ़ा दिया है। इसे देखते हुए वैश्विक वित्तीय संस्थाएं भारत समेत अन्य अर्थव्यवस्थाओं की वृद्धि अनुमान घटा रही हैं। ब्लूमबर्ग और मॉर्गन स्टेनली की एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है।

महंगाई से बेहाल अमेरिकी: अमेरिका के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार इस साल फरवरी में वहां महंगाई दर 7.9 फीसदी पहुंच गई। यह 1982 के बाद का सबसे ऊंचा आंकड़ा है। विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका में महंगाई दर में आगे और बढ़त देखने को मिल सकती है। दरअसल अमेरिकी श्रम विभाग द्वारा जारी फरवरी के लिए महंगाई की रिपोर्ट में तेल और गैस की कीमतों में हाल में हुई वृद्धि शामिल नहीं है, जो कि 24 फरवरी को यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद हुई थी। रूस के हमले के बाद से गैस की औसत कीमतों में तेज उछाल देखने को मिला है।

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20 साल में सबसे कम बढ़ा वेतन: रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल के अंत में अमेरिकी लोगों की औसत वेतन वृद्धि 4.5 प्रतिशत रही है, जो पिछले 20 वर्षों में सबसे कम वेतन वृद्धि है। जबकि महंगाई इससे करीब दो गुना अधिक है। आंकड़ों के अनुसार वेतन वृद्धि में कमी के बीच आवास की लागत, जो सरकार के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक का लगभग एक तिहाई है, तेजी से बढ़ी है। इससे उपभोक्ता बेहाल है।

भारत में महंगाई आधारित मंदी की आशंका:ब्रोकरेज फर्म मॉर्गन स्टेनली ने अपने बयान में कहा, हमारा मत है कि मौजूदा भू-राजनीतिक तनाव बाह्य जोखिमों को बढ़ा रहे हैं और अर्थव्यवस्था के लिए महंगाई-जनित मंदी की आशंका भी पैदा हो रही है।’ महंगाई-जनित मंदी का मतलब ऐसी स्थिति से है जब उत्पादन या वृद्धि में गतिहीनता आ जाए और महंगाई भी ऊंचे स्तर पर बनी रहे।

विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्थिति बेहद खतरनाक होती है। भारत में चालू वित्त वर्ष में खुदरा महंगाई के छह फीसदी से अधिक रहने की आशंका जताई गई है जो रिजर्व बैंक की अनुमानित उच्चतम सीमा है।

आर्थिक वृद्धि दर घट रही:भारत सरकार के हालिया आंकड़ों के अनुसार, एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के चालू वित्त वर्ष में 8.9 फीसदी की दर से बढ़ने की उम्मीद है। वहीं मॉर्गन स्टेनली ने नए वित्त वर्ष के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि दर अनुमान घटाकर 7.9 फीसदी कर दिया है। इसके अलावा विश्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष समेत दिग्गज संस्थाओं ने वैश्विक अर्थव्यवस्था का अनुमान घटा दिया है।