सस्ती बिजली मुहैया कराने की तैयारी में बिहार सरकार, स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाकर बढ़ायेगी राजस्व संग्रह

पटना: राज्य में बिजली का तकनीकी और वाणिज्यिक नुकसान (एटी एंड सी लॉस) कम करने की चरणबद्ध तरीके से तैयारी की गयी है. इसके लिए जुलाई 2022 तक 23.50 लाख स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने की योजना है. बिजली आपूर्ति के लिए बेहतर उपकरण लगाये जा रहे हैं. साथ ही बिजली चोरी रोकने के लिए समय-समय पर अभियान चलाये जा रहे हैं. बिजली के तार को कवर किया जा रहा है जिससे हुक लगाकर चोरी नहीं की जा सके. इसका मकसद बिजली अापूर्ति के अनुसार राजस्व संग्रह को बढ़ाना है. बिजली कंपनी की आय में बढ़ोतरी होने से आने वाले समय में उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली मिल सकेगी.

बिजली लॉस पर गंभीर सरकार 

सूत्रों के अनुसार राज्य में 2015-16 में एटी एंड सी लॉस 40.76 फीसदी था. यह 2019-20 में घटकर 35.12 फीसदी हो गया है. इसे मार्च 2022 तक 24 फीसदी लाने का लक्ष्य है. वहीं केंद्र सरकार ने 2025 तक सभी राज्यों को एटी एंड सी लॉस को 12 से 15 फीसदी करने का लक्ष्य दिया है. 15 फीसदी से अधिक बिजली लॉस पर बिजली कंपनी को होने वाली हानि की भरपाई के लिए राज्य सरकार सब्सिडी के माध्यम से मदद करती है. ऐसे में राज्य के खजाने पर भी बोझ पड़ता है. 2021-22 के लिए विनियामक आयोग की ओर से निर्धारित 15 फीसदी से अधिक बिजली लॉस पर बिहार स्टेट पावर (होल्डिंग) कंपनी लिमिटेड की दोनों वितरण कंपनियों को अनुमानित वित्तीय हानि की भरपाई के लिए करीब 1422 करोड़ रुपये की सब्सिडी की मंजूरी राज्य सरकार ने दी थी.

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एलटी लाइन में लॉस अधिक

सूत्रों के अनुसार राज्य में करीब आठ फीसदी औद्योगिक और करीब 92 फीसदी घरेलू उपभोक्ता हैं. घरेलू उपभोक्ताओं को एलटी (लो टेंशन) लाइन से बिजली आपूर्ति होती है. इसमें हुक लगाकर चोरी की आशंका बनी रहती है. साथ ही घरेलू उपभोक्ताओं से शत-प्रतिशत बिजली शुल्क की वसूली भी बिजली कंपनी के सामने बड़ी चुनौती होती है. वहीं, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, कर्नाटक, गुजरात, त्रिपुरा और गोवा जैसे राज्यों में औद्योगिक उपभोक्ताओं की संख्या 40 फीसदी से अधिक होने की वजह से एटी एंड सी लॉस करीब 15 फीसदी तक हो चुका है.

इस संबंध में ऊर्जा विभाग के सचिव सह बिजली कंपनी के सीएमडी संजीव हंस ने कहा है कि राज्य में एटी एंड सी लॉस कम करने की योजनाओं पर काम किया जा रहा है. मार्च 2020 तक यह करीब 35.12 फीसदी था, लेकिन इस समय यह करीब 30 फीसदी हो चुका है. मार्च 2022 तक 24 फीसदी होने का अनुमान है.

Source-prabhat khabar