बिहार में मतदाता पहचान पत्र का वोटर सही है या गलत, परखेगा डाक विभाग, फर्जी वोटिंग पर नकेल

मुजफ्फरपुर। राज्य में बड़ी संख्या में फर्जी वोटरों एवं मतदाता पहचान पत्र (ईपिक) का मामला सामने आने के बाद निर्वाचन आयोग सतर्क हो गया है। आयोग अपने साफ्टवेयर के अलावा अब डाक विभाग की मदद से फर्जी वोटरों की पहचान करेगा। खासकर फर्जी ईपिक की। निर्वाचन आयोग ने निर्णय लिया है कि अब मतदाताओं के पास मतदाता पहचान पत्र डाक विभाग के माध्यम से उपलब्ध कराया जाएगा। इससे मतदाता के सही पते का सत्यापन हो जाएगा। दिए गए पते पर मतदाता के उपलब्ध नहीं होने पर मतदाता पहचान पत्र को जिला निर्वाचन पदाधिकारी को वापस कर दिया जाएगा।

मालूम हो कि मतदाता सूची की पीएसई प्रक्रिया में भी यह बात सामने आई थी कि राज्य में ऐसे 46 लाख से अधिक मतदाता हैं जिनकी तस्वीर पर दो-तीन नहीं बल्कि आठ से दस नाम जुड़े हैं। गलती के बावजूद इनकी ओर से संशोधन या नाम डिलीट करने का आवेदन नहीं आने से माना जा रहा कि इनमें से अधिक फर्जी हैं या जान बूझकर बोगस वोटिंग के लिए इतने नाम जोड़े गए हैं। इन नामों का सत्यापन कर हटाने की कार्रवाई की जा रही है। वहीं आगे ऐसे वोटरों की पहचान मतदाता पहचान पत्र उपलब्ध कराने के समय ही हो जाएगी। इस कारण ही डाक से ईपिक उपलब्ध कराया जा रहा है।

राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने सबसे पहले पटना जिले से इसकी शुरुआत करने की बात कही है। इसके बाद अन्य जिलों में बूथवार ईपिक डाक विभाग को उपलब्ध करा दिए जाएंगे। इसे स्पीड पोस्ट के माध्यम से डाक विभाग मतदाताओं तक पहुंचाएगा। इसके लिए दो बार प्रयास किए जाएंगे। सही पते पर मतदाता के नहीं मिलने पर ईपिक वापस हो जाएगा। इसके अलावा मतदाता का पता अस्पष्ट होने की स्थिति में बीएलओ की मदद ली जा सकेगी। वहीं अस्पष्ट पते की संख्या अधिक होने पर इस प्रक्रिया की समीक्षा की जाएगी। ईपिक कहां पहुंचा इसकी आनलाइन मानीटङ्क्षरग जिले के निर्वाचन पदाधिकारी एवं उप निर्वाचन पदाधिकारी भी कर सकेंगे।

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