बिहार में शराबियों की जासूसी का जिम्मा दिए जाने पर भड़के टीचर, कहा- बॉडीगार्ड दो; सरकार की सफाई

बिहार में शिक्षा विभाग द्वारा जारी एक आदेश ने शिक्षकों को नाराज कर दिया है। आदेश के खिलाफ शिक्षकों ने आंदोलन करने का मूड बना लिया है। असल में शिक्षा विभाग ने शुक्रवार को एक आदेश जारी कर शिक्षकों और हेडमास्टरों को शराब पीने वालों और शराब की तस्करी करने वालों पर नजर रखने और इसकी सूचना मद्य निषेध विभाग को देने के लिए कहा था। शिक्षक संगठनों ने साफ कह दिया है या तो हमें बॉडीगार्ड दिया जाए या फिर इस आदेश को वापस लिया जाए। वहीं राज्य सरकार ने साफ तौर पर कह दिया है कि शिक्षकों को शराब माफिया से लड़ने के लिए नहीं बल्कि इसकी सूचना देने के लिए कहा गया है।

शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने शिक्षकों को शराब पीने वाले तथा शराब माफिया की सूचना देने को लेकर जिलों को विभाग द्वारा भेजे गये ताजा पत्र पर स्थिति स्पष्ट की। शनिवार को एनडीए के साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि शिक्षकों को शराब माफियाओं से लड़ने के लिए नहीं कहा गया है। राज्य सरकार ने तो पहले ही सभी नागरिकों से अपील की थी कि कहीं कोई शराब पीते या कारोबार करते दिखे तो उसकी सूचना दें। शिक्षक नागरिक से बाहर हैं क्या?

फिर अगर शिक्षा विभाग ने अपने कर्मियों, शिक्षकों से यह अपील की तो इसमें अव्यवहारिक क्या है? विजय चौधरी ने कहा कि इसको लेकर कुछ लोगों द्वारा भ्रम पैदा किया जा रहा है। शिक्षकों को कोई टारगेट नहीं दिया गया है। कोई बाध्यकारी तो है नहीं। कोई दिखे तो सूचना दीजिए, नहीं दिखेगा तो नहीं देंगे। विभाग ने फिक्स नहीं किया है कि सप्ताह में शराब से जुड़ी इतनी सूचना देनी है। बस कहा गया है कि ऐसी कोई जानकारी मिले तो सूचित करें।

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शिक्षक इसे मात्र अपील समझें, अतिरिक्त कार्य नहीं : शिक्षा विभाग

उधर, शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने भी शुक्रवार को जिलों को इस बाबत भेजे गये पत्र को लेकर पक्ष रखा। कहा कि शिक्षकों को अतिरिक्त कार्य नहीं दिया गया है। यह हर जिम्मेदार नागरिक का कर्तव्य बनता है, इसलिए शिक्षक इसे मात्र अपील समझें। इसमें कोई आदेश नहीं है।

उन्होंने कहा कि विभाग का मानना है कि सबसे प्रबुद्ध वर्ग शिक्षकों का है। बच्चों के चरित्र निर्माण करने में सबसे बड़ी भूमिका उनकी है। नशा को लेकर भी जागरूकता अभियान चलाना जरूरी है। राज्य में शराबबंदी लागू है। मुख्यमंत्री की ओर से इसको लेकर समाज सुधार अभियान भी चलाया गया। विभाग की ओर से सभी डीईओ को पत्र जारी किया गया है। इसका मतलब है कि शिक्षक भी लोगों को जागरूक करें। पत्र में संशोधन की कोई आवश्यकता नहीं है। कहा कि हमारे सभी शिक्षक सुरक्षित रहें, हम भी यही चाहेंगे। शिक्षक स्थानीय समाज में ही रहते हैं। समाज में उनकी हैसियत है, इसी उद्देश्य से उनसे अपील की गई है।

वहीं शराब पीने वालों की शिक्षकों द्वारा पुलिस को सूचना देने के शिक्षा विभाग के आदेश का शिक्षक संगठनों ने विरोध जताया है। मांग है कि अपर मुख्य सचिव संजय कुमार अपने आदेश को वापस लें। शिक्षकों को शैक्षणिक कार्य में लगाया जाए, न कि गैर शैक्षणिक कार्य में। बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के महासचिव शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने कहा कि इस निर्देश से असुरक्षा व भय का वातावरण बनेगा और शैक्षणिक माहौल खराब होगी। शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य से अलग रखा जाए।

वहीं, टीईटी एसटीईटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ गोपगुट के प्रवक्ता अश्विनी पांडेय ने कहा कि अगर अपर मुख्य सचिव अपने इस आदेश को वापस नहीं लेते तो 30 जनवरी को सभी जिलों में आदेश की प्रति जलाकर विरोध दर्ज कराया जाएगा। टीईटी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमित विक्रम ने कहा कि शराबबंदी में शिक्षकों की ड्यूटी लगाना दुर्भाग्यपूर्ण है। सभी शिक्षक इसका विरोध करते हैं। बिहार पंचायत-नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष आनंद कौशल सिंह ने बताया कि अपर मुख्य सचिव आदेश वापस नहीं लेते तो 30 जनवरी को शिक्षा मंत्री का पुतला दहन किया जायेगा। सभी प्रखंड मुख्यालयों में पुतला दहन होगा।