पटना, जागरण संवाददाता। कोरोना संक्रमण का खतरा अभी टला नहीं है। यदि घरों से निकलते हैं तो पूरी सावधानी बरतें। हमेशा लोगों से दूरी बनाने के साथ-साथ भीड़ से बचें। यदि वैक्सीन नहीं लिए हो तो वैक्सीन लगवाएं, मास्क का उपयोग करें। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के मेडिसिन विभागाध्यक्ष डा. रवि कीर्ति ने बताया कि कोरोना का खतरा टला नहीं है। ऐसे में हमारे पास दो मजबूत हथियार हैं। यदि वैक्सीन नहीं लिए हो तो सबसे पहले लें, इसके बाद हमेशा मास्क का उपयोग करें। यदि घर से बाहर भीड़ वाले इलाके में निकलते है तो आप हमेशा शारीरिक दूरी का अनुपालन करें। भीड़ में कोई एक भी मरीज संक्रमण का खतरा बढ़ा सकता है। सिविल सर्जन डा. विभा रानी सिंह ने बताया कि पूजा पंडालों में वैक्सीन लगाने की व्यवस्था की जा रही है। इन केंद्रों पर कोरोना जांच की भी व्यवस्था अलग से रहेगी। इसके लिए एक-दो दिनों में कर्मियों की प्रतिनियुक्ति भी कर दी जाएगी।
आइआइटी ने तैयार किया विशेष साफ्टवेयर
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग ने एक विशेष साफ्टवेयर तैयार किया है। इससे मरीजों की एक्स-रे फिल्म से पता चल सकेगा कि मरीज को कोरोना है या निमोनिया। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) के आधार पर बनाए गए इस साफ्टवेयर में पहले एक्स-रे डेटा का मिलान किया जाता है। इससे यह बात सामने आती है कि मरीज को किस तरह का संक्रमण है। इस शोध को एलजेवीयर के बायोसिग्नल प्रोसेसिंग एंड कंट्रोल जर्नल में प्रकाशित भी किया जा चुका है।
95 फीसद तक सही हैं इसके नतीजे
शोध में आइआइटी पटना के डा. राजीव कुमार झा के निर्देशन में छात्र सागरदीप ने किया है। डा. राजीव कुमार झा ने बताया कि इसमें डीप लर्निंग तकनीक का उपयोग किया गया है। बताया कि इस दौरान एमजीएम मेडिकल कालेज, इंदौर की टीम और एम्स पटना के डा. कमलेश झा का सहयोग मिला। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमित, सामान्य व निमोनिया संक्रमित लोगों की एक हजार एक्स-रे इमेज के आधार पर ट्रेंड नेटवर्क तैयार कराया गया। परिणाम 95 फीसद सही मिला।
तीसरी लहर की आशंका को लेकर शोध महत्वपूर्ण
कोरोना संक्रमण की थर्ड वेब की आशंका को लेकर यह शोध काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। कोरोना व निमोनिया के लक्षण एक जैसे होने से दोनों में अंतर कर पाना मुश्किल होता है। ऐसे में मरीजों की आरटीपीसीआर जांच के साथ-साथ एचआरसीटी जांच कराने की जरूरत पड़ जाती है।