IAS S Siddharth ने केके पाठक को छोड़ा पीछे, सड़क पर गाड़ी रोककर चेक करने लगे होमवर्क; चौंक गए बच्चे

IAS S Siddharth ने केके पाठक को छोड़ा पीछे, सड़क पर गाड़ी रोककर चेक करने लगे होमवर्क; चौंक गए बच्चे

स्कूल की छुट्टी हो चुकी थी। कुछ बच्चे किताबों और कॉपियों से भरे बैग कंधे पर लटकाए घर लौट रहे थे। ये बच्चे राजधानी पटना में राज्य सचिवालय के विकास भवन के सामने से गुजर रहे थे कि अचानक एक कार उनके सामने आकर रुकी।

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इससे पहले कि बच्चे कुछ समझ पाते, गाड़ी का दरवाज़ा खुला और शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ बाहर निकले। दरअसल, उस समय डॉ. सिद्धार्थ शिक्षा विभाग जा रहे थे। तभी उनकी नज़र सामने से आ रहे बच्चों पर पड़ी। दोपहर 12.10 बजे स्कूल बंद हो चुका था।

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डॉ. सिद्धार्थ को अपने सामने खड़ा देखकर छात्र दंग रह गए। फिर डॉ. सिद्धार्थ ने बच्चों से उनका नाम पूछा। उनमें से एक ने अपना नाम अक्षय और दूसरे ने सुभाष बताया। दोनों बच्चे प्राइमरी स्कूल के थे। दोनों स्कूल यूनिफॉर्म में थे। संभवतः उन्हें स्कूल यूनिफॉर्म में देखकर डॉ. सिद्धार्थ ने अपनी कार रोकी ताकि वे उनसे कक्षा में दी जाने वाली पढ़ाई के बारे में जानकारी ले सकें।

अब तक दोनों बच्चे भी सहज हो चुके थे। राहगीरों और रेहड़ी-पटरी वालों के साथ-साथ उनके ग्राहकों की निगाहें भी उसी तरफ टिकी हुई थीं। एस. सिद्धार्थ ने बच्चों से क्या पूछा? डॉ. सिद्धार्थ ने बच्चों से स्कूल में दी जाने वाली पढ़ाई के बारे में पूछा। बच्चों ने भी उन्हें बताया कि स्कूल में पढ़ाई अच्छी होती है। बच्चों ने कहा कि स्कूल में पढ़ाई बेहतर है। डॉ. सिद्धार्थ ने एक बच्चे से उसके होमवर्क की कॉपी मांगी। वह कॉपी के पन्ने पलटने लगा।

कॉपी अंग्रेजी की थी। उसने देखा कि होमवर्क शिक्षक ने कैसे चेक किया। अचानक उन्होंने कहा कि इसमें कोई तारीख नहीं है। दोनों बच्चों से अधिक जानकारी लेने तथा उन्हें पढ़ाई के प्रति प्रोत्साहित करने के बाद डॉ. सिद्धार्थ अपनी कार में बैठकर शिक्षा विभाग चले गए।

लोगों ने एसीएस की तारीफ की

शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ द्वारा बच्चों की शिक्षा के प्रति दिखाए जा रहे इस ध्यान को देखकर विकास भवन के पास सड़क पर यह नजारा देख रहे लोगों ने इसकी तारीफ की।

बता दें कि शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव का पद संभालने के बाद डॉ. सिद्धार्थ ने अपने अधिकारियों को यह भी निर्देश दिया था कि जब भी वे स्कूल का निरीक्षण करने जाएं तो स्कूल आते-जाते बच्चों से जरूर बात करें। उनके अभिभावकों से भी बात करें। इससे बच्चों और अभिभावकों की समस्याएं शिक्षा विभाग के संज्ञान में आएंगी। इससे समस्याओं के समाधान में मदद मिलेगी।