श्रीमद्भागवत कथा श्रवण का पुण्य कल्पवृक्ष के समान : गुप्तेश्वरजी महाराज

गोपालगंज : कलियुग में श्रीमद् भागवत महापुराण श्रवण कल्पवृक्ष से भी बढ़कर है। कल्पवृक्ष मात्र तीन वस्तु अर्थ, धर्म और काम ही दे सकता है। मुक्ति व भक्ति कल्पवृक्ष नहीं दे सकता है। लेकिन श्रीमद् भागवत तो दिव्य कल्पतरु है। यह अर्थ, धर्म, काम के साथ साथ भक्ति और मुक्ति प्रदान करके जीव को परम पद प्राप्त कराता है।

बिहार के पूर्व डीजीपी सह श्रीमद्भागवत कथा वाचक गुप्तेश्वरजी महाराज ने पहाड़पुर छांगुर गांव स्थित प्राचीन शिव मंदिर प्रांगण में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन कहा कि श्रीमद् भागवत केवल पुस्तक नहीं, साक्षात श्रीकृष्ण स्वरुप है। इसके एक-एक अक्षर में श्रीकृष्ण समाये हुये हैं। उन्होंने कहा कि कथा सुनना समस्त दान, व्रत, तीर्थ, पुण्यादि कर्मो से बढ़कर है।

धुन्धकारी जैसे शराबी, कवाबी, महापापी, प्रेत आत्मा का उद्धार हो जाता है। उन्होंने भागवत के चार अक्षर का तात्पर्य समझाते हुए कहा कि भ से भक्ति, ग से ज्ञान, व से वैराग्य और त त्याग जो हमारे जीवन में प्रदान करे उसे हम भागवत कहते है। उन्होंने अपनी कथा के दौरान कई प्रसंगों का विस्तार पूर्वक वर्णन किया। साथ ही परीक्षित को श्राप कैसे लगा तथा भगवान श्री शुकदेव उन्हें मुक्ति प्रदान करने के लिये कैसे प्रगट हुये आदि के बारे में विस्तार से बताया। कथा सुनने के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ मौके पर मौजूद रही।

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गोपालगंज : व्यक्ति का ज्ञान व उसकी क्षमता कभी पूर्ण नहीं होती। मनुष्य को जीवन पर्यंत सीखना पड़ता है। स्वयं के ज्ञान पर अत्यधिक आत्मविश्वास सदैव घातक होता है। जो व्यक्ति दूसरों के मत की कद्र नहीं करता व सिर्फ यहीं समझता है कि हमसे अधिक कोई नहीं जानता, उसका ज्ञान अधूरा है।

खालग्राम में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा ज्ञानयज्ञ के छठवें दिन भागवत कथा मंदाकिनी नित्यानंदनी जी ने कहा कि कि भगवान कृष्ण के परम सखा उद्धव जी को अपने ब्रह्माज्ञान पर अति आत्मविश्वास ने ही गोकुल में उनको असहाय कर दिया। अर्जुन को अपने शस्त्र ज्ञान का अहम ही उनको कोल भीलों से परास्त करवा दिया। यह उदाहरण है, जिससे समाज को सबक लेने की आवश्यकता है।

आज समाज की प्रवृत्ति असहिष्णु होती जा रही है, जो चिता का विषय है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने आचरण और व्यवहार पर कड़ी नजर रखनी चाहिये। प्रवचन के दौरान वृंदावन में गोपियों के वीरह गीत, नंद बाबा और यशोदा जी के करुण रुदन के वर्णन से वक्ता एवं श्रोता भावुक हो उठे।

कथा में महारास वर्णन, रुक्मिणी विवाह की झांकी ने लोगों को मुग्ध कर दिया। गीतकार श्रवण पाण्डेय के गीतों ने लोगों को भावविभोर कर दिया। इसके पूर्व खालग्राम की महिला मंडली ने कथाव्यास का स्वागत किया। मंच संचालक सुधांशु शेखर पाण्डेय ने बजरंगी भवन मंदिर के इतिहास एवं यज्ञ की यात्रा का विवरण रखा।