बिहार में सरकारी स्कूल के टीचर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। जिसमें टीचर सिर पर बोरा रखकर बेचते नजर आ रहे हैं। शिक्षक को बोरा बेचते देख लोग भी चौंक गए। इसके बाद लोगों के बीच कानाफूसी शुरू हो गई कि सरकारी टीचर होकर भी बोरा बेचना पड़ रहा है, लेकिन यहां मामला कुछ और ही था। पड़ताल करने पर असलियत सामने आई। दरअसल मिड-डे मील योजना के तहत बोरे में राशन भरकर आता है। इसके बाद इन्हें स्कूल में खाली कराकर बेच दिया जाता है।
सिर पर बोरा बेच रहे शिक्षक से जब इस बारे में जानकारी चाही तो उसने सरकार पर ठीकरा फोड़ दिया। शिक्षक ने बताया कि सरकार की ओर से ऐसा आदेश आया है नहीं तो तनख्वाह नहीं मिलेगी। इसलिए खाली बोरों को बेच रहे हैं। शिक्षक द्वारा इस तरह का कृत्य किए जाने पर विभाग ने उसे सस्पेंड कर दिया है।
मामला कटिहार जिले का है। कदवा प्रखंड क्षेत्र के कांता मध्य विद्यालय के प्रधान शिक्षक सह बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष तमीजउद्दीन का सिर पर चट्टी नुमा बोरा लेकर गांवों में बेचने का वीडियो वायरल हो रहा है। वीडियो में शिक्षक बोरे के अलावा गले में नारों की लिखी हुई तख्ती लेकर भी चल रही है। तख्ती में सरकार विरोधी नारे लिखे हैं जिन्हें लेकर शिक्षक आता-जाता दिखाई दिया। तख्ती में लिखा है, बोरा लेवो हो चाचा बोरा लेवो हो, भैया बोरा लेवा हो, करते नजर आ रहे हैं। मामले की जानकारी देते हुए शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष तमीजउद्दीन ने बताया की सरकार द्वारा शिक्षक की हमेशा से उपेक्षा की जाती रही है। वायरल वीडियो में उपेक्षित शिक्षकों के दर्द को दिखाने की कोशिश सरकार से की गई है। उनका कहना है कि सरकार वर्ष 2015-16 से अब तक के बोरा का हिसाब मांग रहा है।
शिक्षक बच्चों को पढ़ाने का काम करेंगे या फिर बोरा चुनने का, शिक्षकों से जोर जबरन रसोईया का काम लिया जाना, शिक्षकों को एमडीएम में भागीदार बनाना, शिक्षक से बोरा का हिसाब मांगना काफी दुखद व गलत है। जबकि कहीं भी यदि 5-6 साल बोरा रखा रहेगा तो उसे चूहा कुतर देंगे वह बोरा दो रुपये का नहीं होगा और सरकार उनसे ₹10 करके प्रति बोरा हिसाब मांग रही है। ऐसी परिस्थिति में क्या शिक्षक बोरा चुनने और बोरा खरीदने और बोरा बेचने का काम करेंगे। बहुत सारे शिक्षक सेवानिवृत या बदल चुके हैं। सरकार के इस निर्देश से शिक्षकों के समक्ष भीषण समस्या उत्पन्न होने की आशंका प्रकट की है। उन्होंने यह भी कहा जब तक सरकार अपने इस आदेश को वापस नहीं ले लेगी तब तक शिक्षक इनका इसी प्रकार विरोध करते रहेंगे। साथ ही उन्होंने अपनी ओर से एक विज्ञप्ति जारी कर राज्य के सभी जिला अध्यक्षों को सिर पर बोरा लेकर गांव में बैठकर सरकार के इस निर्देश को गलत ठहराने के लिए अपील की है।