मुजफ्फरपुर। कालाजार उन्मूलन अभियान का स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त निदेशक डा.अंजनी कुमार ने जायजा लिया। सिविल सर्जन डा.विनय कुमार शर्मा और जिला वेक्टरजनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डा.सतीश कुमार के साथ समीक्षा की। उसके बाद उन्होंने मुजफ्फरपुर कालाजार मेडिकल रिसर्च सेंटर पर जाकर वहां के इलाज व्यवस्था का जायजा लिया।
पीकेडीएल के खोज का टारगेट
अतिरिक्त निदेशक अंजनी कुमार ने कालाजार उन्मूलन की समीक्षा के क्रम में पीकेडीएल यानी चेहरे का कालाजार की खोज पर बल दिया। कहा कि इस अभियान में पीकेडीएल एक तरह से बाधा है। उसको दूर करे। वेक्टरजनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डा.सतीश कुमार ने बताया कि सितंबर तक सभी 16 प्रखंड में कालाजार उन्मूलन का छिड़काव समाप्त करना था। लेकिन बाढ़ के कारण कटरा, औराई, कांटी में अभियान प्रभावित है। पानी कम होते ही छिड़काव कराया जाएगा। अक्टूबर तक अभियान चलेगा। पहले कालाजार को लेकर पारू व साहेबगंज हाई रिस्क में रहा है। लेकिन अब लगातार जागरूकता, इलाज व छिड़काव के कारण मुजफ्फरपुर का कोई प्रखंड हाई रिस्क जोन में नहीं है। सरकारी मानक के हिसाब से दस हजार में एक मरीज से नीचे वाला पोजिशन सब जगह पर है। 16 प्रखंड में अभी 93 मरीज है। आने वाले दिनों में पीकेडीएल के खोज को अभियान चलाया जाएगा।
14 हजार 722 मरीज हुए मुक्त
मुजफ्फरपुर कालाजार मेडिकल रिसर्च सेंटर के प्रशासक अनिल शर्मा ने बताया कि सेंटर पर 1994 से 14 हजार 772 रोगियों को इलाज कर रोगमुक्त कराया गया। सिंगल डोज दवा आने के बाद अब मरीज को एक दिन में छुट्टी मिल जाती है। जबकि पहले एक माह रहकर इलाज करानी पड़ती थी। यह दौर 2008-09 के बाद जब सिंगल डोज दवा आई उसके बाद थमा। 2014 में सरकार ने इसे स्वीकार किया। उसके बाद मरीज की संख्या में कमी है। राज्य स्तरीय बैठक मेें रिसर्च सेंटर का प्रतिनिधित्व देने की बात कही। निदेशक ने कहा कि रिसर्च सेंटर से सरकार के कालाजार उन्मूलन अभियान को काफी सहयोग मिल रहा है। इस सेंटर को हर तरह का सहयोग दिया जाएगा।