बिहार के 18 साल से कम छात्र-छात्राओं के लिए अच्छी खबर, अब बच्चों के लिए बनेगा अलग बजट

 पटना: बिहार के बजट में अब बच्चों के समग्र विकास की योजनाओं को प्राथमिकता मिलेगी। उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने गुरुवार को इससे संबंधित मैनुअल का लोकार्पण किया। इसमें बताया गया है कि बजट में बच्चों के मद में कितना आवंटन किया जाए। कैसे खर्च किया जाए। कुल 17 विभागों के बजट में बच्चों से जुड़ी योजनाओं को प्राथमिकता देने की सिफारिश की गई है। वित्त विभाग, यूनीसेफ और आद्री की मदद से मैनुअल तैयार हुआ है।

तारकिशोर ने कहा कि पिछली जनगणना के मुताबिक राज्य में 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों एवं किशोरों की संख्या पांच करोड़ है। इनकी 90 प्रतिशत आबादी गांवों में रहती है। इस बड़ी आबादी पर अधिक ध्यान देने की जरूरत इसलिए है कि इन्हीं से राज्य के भविष्य का निर्माण होना है। उन्होंने कहा कि बीते आठ वर्षों में इस उम्र की आबादी के लिए बजट में 22.7 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। बालिकाओं की शिक्षा और स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

बालिकाओं के लिए अलग अध्याय

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वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव डा. एस सिद्धार्थ ने कहा कि बाल बजट में लड़कियों के लिए अलग अध्याय होना चाहिए। इसकी प्रगति का नियमित अनुश्रवण करना चाहिए। राज्य में बाल विवाह की कुप्रथा भी है। सरकार इसे दूर करने की लगातार कोशिश कर रही है। लड़कियां स्नातक तक पढ़ सकें, सरकार इसके लिए भरपूर प्रयास कर रही है। इन प्रयासों से लड़कियां न सिर्फ पढ़ रही हैं, बल्कि प्रजनन दर भी घट रही है। यूनीसेफ की अधिकारी बिंते शफीक ने बताया कि प्रारंभ में राज्य के आठ विभाग बाल बजट के निर्माण में शामिल थे। अब अन्य विभाग भी इसके लिए सूचना देंगे। आद्री के सदस्य सचिव डा. प्रभात पी घोष ने स्वागत भाषण किया।

बजट बनाने में मिलेगी मदद

सीईपीपीएफ की डा. बर्ना गांगुली ने कहा कि बजट में बच्चों के हितों का समावेश करने में नए मैनुअल से मदद मिलेगी। योजना एवं विकास विभाग के पूर्व अपर निदेशक प्रमोद कुमार ने कहा कि बाल बजट के निर्माण से सतत विकास लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी। वित्त विभाग के उप सचिव संजीव मित्तल एवं आद्री के सुदीप कुमार पांडेय ने भी मैनुअल पर अपनी राय दी।