मुजफ्फरपुर से हवाई सेवा का शुरू होना व्यावसायिक दृष्टिकोण से भी जरूरी है। यदि ऐसा संभव हुआ तो लीची लहठी व अन्य उत्पादों को देश के अन्य हिस्सों में भेजना सुगम हो जाएगा। उद्योगों का विस्तार होगा। रोजगार के मौके उपलब्ध होंगे।
मुजफ्फरपुर से हवाई सेवा यहां के लोगों के लिए सपने जैसा है। समय- समय पर इसको लेकर वादे किए जाते रहे हैं, लेकिन वे सच अभी तक नहीं हो सके हैं। भूमि अधिग्रहण का मामला हो या रनवे छोटा होने का, कुछ न कुछ ऐसी बात सामने आ जाती है, जिससे यह सपना अधूरा रह जा रहा है।
एक बार फिर से मुजफ्फरपुर से हवाई सेवा शुरू होने की उम्मीद जगी है। इस बार की उम्मीद में लोगों को दम नजर आ रहा है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि इस बार पहल किसी राजनेता या जनप्रतिनिध ने नहीं की है। इसलिए लोगों को लग रहा है कि यह क्षणिक लाभ लेने का मामला नहीं होकर, एक गंभीर प्रयास का साबित होगा।
– हाइकोर्ट के आदेश के बाद पताही हवाई अड्डे से उड़ान की संभावनाओं की तलाश। – अपर समाहर्ता ने गठित की चार सदस्यीय कमेटी, एयरपोर्ट अाथरिटी आफ इंडिया की वास्तविक जमीन की जाएगी चिह्नित। – पटना हाईकोर्ट ने विकास आयुक्त से हवाई अड्डे का रनवे बढ़ाने, क्रियाशील या चालू करने पर दो सप्ताह में मांगी रिपोर्ट
चार सदस्यीय कमेटी का गठन:तमाम नारे और घोषणाओं के बाद भी पताही हवाई अड्डे से हवाई सेवा शुरू नहीं हो सकी। अब पटना हाईकोर्ट के आदेश से उड़ान की संभावनाओं के साथ हवाई अड्डे को क्रियाशील करने की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद अपर समाहर्ता राजेश कुमार ने चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया है।
यह कमेटी एयरपोर्ट अथारिटी आफ इंडिया की वास्तविक जमीन को चिह्नित करेगी। कमेटी में जिला राजस्व प्रशाखा के एसडीसी सारंग पाणि पांडेय के अलावा मुशहरी, कुढऩी व मड़वन के सीओ को शामिल किया गया है। सहयोग के लिए जिला भू-अर्जन कार्यालय के सहायक उमेश कुमार की प्रतिनियुक्ति की गई है।
संभावनाओं की तलाश की जा रही:मालूम को कि गौरव कुमार सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट ने कहा था कि राज्य में तीन एयरपोर्ट पटना, गया और दरभंगा ही क्रियाशील हैं। वहीं, मुजफ्फरपुर, भागलपुर, फारबिसगंज (जोगबनी), रक्सौल और मुंगेर क्रियाशील नहीं है। इसका क्या कारण है। हाईकोर्ट ने इन कारणों की जानकारी उपलब्ध कराने को कहा।
वहीं विकास आयुक्त को सभी स्टेक होल्डरों के साथ बैठक कर यह तय करने की जिम्मेदारी दी गई है कि एयरपोर्ट को विस्तारित, क्रियाशील या चालू करने की संभावनाएं देखें। विकास आयुक्त को दो सप्ताह में रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया है।
475 एकड़ जमीन की जरूरत:मालूम हो कि वर्ष 2017 में पूर्व पताही हवाई अड्डे के लिए 475 एकड़ जमीन को लेकर जिला भू-अर्जन पदाधिकारी से प्राक्कलन तैयार कराया गया था। सिविल विमानन निदेशालय, हवाई अड्डा के तत्कालीन निदेशक के आग्रह पर यह प्राक्कलन तैयार हुआ था।
इसमें रनवे को उत्तर की तरफ करने को लेकर प्लान बनाने की बात थी। दो चरणों में अतिरिक्त 475 एकड़ जमीन का प्राक्कलन तैयार करने का काम शुरू हुआ। तब की सर्किल दर के हिसाब से इसके लिए करीब 70 अरब रुपये खर्च होने का अनुमान बताया गया था।
अभी उपलब्ध जमीन में 1350 मीटर का ही रनवे:जिला प्रशासन ने पूर्व में नागरिक उड्डयन मंत्रालय को रिपोर्ट भेजी थी। इसमें कहा गया था कि वर्तमान में पताही हवाई अड्डे के लिए उपलब्ध जमीन में अधिकतम 1350 मीटर का रनवे ही तैयार हो सकेगा। इतनी लंबाई के रनवे पर बड़े विमान की उड़ान संभव नहीं।
बड़े और व्यावसायिक उड़ान के लिए कम से कम छह हजार फीट (1829 मीटर) लंबा रनवे होना चाहिए। इस हिसाब से पताही में रनवे की लंबाई कम से कम छह सौ मीटर और बढ़ानी होगी। अगर जमीन का अधिग्रहण किया जाए तो 70 अरब रुपये खर्च करने होंगे।