High Earning in goat farming: अगर पशुपालक या किसान 20 बकरियां पालते हैं तो 2,50,000 रुपये तक की कमाई हो सकती है.
Subsidy & Precaution for Goat Farming: भारत में पशुपालन व्यवसाय दिन पर दिन लोकप्रिय होता जा रहा है.
अब किसान खेती के साथ-साथ अतिरिक्त आमदनी के लिये पशुओं को पालते हैं. खासकर उत्तर प्रदेश और हरियाणा के किसान अपनी रोजी-रोटी के लिये खेती के साथ-साथ बकरीपालन को दूसरे व्यवसाय के रूप में अपना रहे हैं. बता दें कि वैज्ञानिक तरीके से बकरीपालन करने पर कम लागत में तीन से चार गुना तक अधिक आमदनी हो जाती है.
वैज्ञानिक तरीके से बकरी पालन
जानकारी के लिये बता दें कि वैज्ञानिक तरीके से बकरी पालन करने में सिर्फ दूध उत्पादन के लिये नहीं किया जाता. बल्कि इसमें बकरी की उन्नतशील नस्लों का चयन करके मौसम के अनुरूप उनकी देखभाल करना, उन्हें गर्भित करवाना, मेमना पालन और स्टॉल फीडिंग तकनीक के जरिये चारे पानी उपलब्धता सुनिश्चित करना भी शामिल है.
सबसे पहले बकरी की उन्नतशील नस्लों का चयन किया जाता है. भारत में बकरी की 21 नस्लें पाई जाती है, जिनमें बरबरी, जमुनापारी, जखराना, बीटल, ब्लैक बंगाल, सिरोही, कच्छी, मारवारी, गद्दी, ओस्मानाबादी और सुरती बकरियां अच्छा मुनाफा कमाकर दे सकती हैं.
बकरियों के बाड़े में घूमने-फिरने के लिये बड़ा स्थान होना चाहिये, क्योंकि बकरी की कुछ किस्मों को घूमना फिरना और चरना बेहद पसंद होता है. वहीं कुछ बकरियों को सिर्फ खूंटे से बंधकर भी पाला जा सकता है.
बकरी पालन के लिये बरबरी बकरियों की किस्म को सबसे बेहतर माना जाता है क्योंकि इस किस्म की बकरियों में बीमारियों की संभावना कम ही होती है. दिनभर में 1 लीटर दूध देने वाली ये बकरी काफी एक्टिव होती है. ये एक बार में 4-5 मेमने दे देती है. तेजी से बढ़ने वाली इस बकरी के मेमने भी जल्दी बड़े हो जाते हैं और बाजार में उनकी अच्छी कीमत मिल जाती है.
उत्तर प्रदेश और हरियाणा में बकरियों के बेहतर स्वास्थ्य के लिये बकरी पालकों को अप्रैल से जून के बीच गाभिन करा देना चाहिये. इससे मेमने सही समय पर और स्वस्थ पैदा होते हैं.
गर्भावस्था के दौरान बकरी को हरा चारा और दूसरे पोषक तत्व देने चाहिये, इससे बकरियों के साथ-साथ मेमनों की भी रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.
बकरियों के बेहतर पोषण और अच्छे दूध उत्पादन के लिये चारे के साथ-साथ मक्का, मूंगफली की खली, चोकर और मिनरल मिक्चर जरूर देना चाहिये
बकरी पालक चाहें तो सूखे चारे के रूप में पौधों की सूखी पत्तियां, गेहूं, धान , उड़द और अरहर की फसल का भूसा भी खिला सकते हैं
समय-समय पर बकरी और मेमनों को टीके लगवायें. अलग-अलग मौसम में उनके बेहतर स्वास्थ्य के लिये पशु चिकित्सक से भी संपर्क करें
सरकार देगी आर्थिक मदद
अगर आप भी किसान हैं और बकरी पालना चाहते हैं तो केंद्र सरकार के साथ-साथ कई राज्य सरकारें इस काम में खर्च कम करने में काफी मदद करती हैं. बात करें राज्य सरकारों की तो हरियाणा राज्य सरकार अपने राज्य में बकरी पालन को बढ़ावा देने के लिये 90% तक सब्सिडी देने के लिये तैयार है. वहीं केंद्र सरकार भी बकरी पालन के लिये 35% तक आर्थिक अनुदान दे रही हैं. इसके अलावा, केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही योजना पशु किसान क्रेडिट कार्ड पर भी बकरी पालनों को रियायत दी जा रही है.
लागत और आमदनी
बकरी पालन से अच्छी आमदनी लेने के लिये इसे कम से कम 20 बकरियों से साथ शुरु करना बेहतर रहता है. अगर पशुपालक या किसान 20 बकरियां पालते हैं तो 2,50,000 रुपये तक की कमाई हो सकती है. साथ में 20 बकरे पालकर किसान 2,00,000 रुपये तक की आमदनी अर्जित कर सकते हैं.